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कांक्रिट के झुरमुटों में रहने वाले फर्जी"एनजीओ इण्डिया फस्ट" जैसे दिकू दलालों ने, आज जंगलों में रहने वाले हम इण्डिजिनस को ललकारा हैं।



बाघ को बचाने के नाम से फर्जी याचिका डाल कर, बाघ को टोटम गोत्र मानने वाले होड़ीन बघेल को ही फरमान भेजा है।जंगल उजाड़ने वाले पुंजीपति गिरोहों के फण्ड पोषित फर्जी एनजीओ ,आज जंगलों के रक्षकों को ही बेदखल करने आतुर हैं।पांचवीं अनुसूची, 13(3)क  को पढ़े बिना कोलेजियम सिस्टम कि दया से आधे अधुरे जज बने लोगों ने,आज संविधान के निर्माता कोयतोरियन को ही फरमान भेजा है।।लाखों एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा जमाऐ दिकूओ ने,आज मालिक इण्डिजिनस को ही फरमान भेजा है। बाघ देखकर पेंट गिली करने वालों ने,आज बाघ संग सोने वालों को ही फरमान भेजा है।कश्मीर से कन्याकुमारी तक पर्यावरण को कुतरने वाले चुहें,आज जंगल पे जंगल उगाने वालों को ही  उजाडऩे आतुर  हैं।कुत्तों  के खिलौने को खेलने वालों ने, शेरों के साथ रहने वालों को ललकारा हैं।प्लास्टिक के फुलों को सुंधने वाले जजेस ने हम कोयतोरियन फुलों को ही बेदखली का फरमान भेजा है। पवित्र भारत माटी को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को बेचने वालों ने हम माटी के पुजारियों को ही फरमान सुनाया है।।
"प्रधानमंत्री" ,"अटार्नी" कोर्ट की पैरवी मे  वाक ओवर दे रहे है अण्डानी अम्बानी के इशारों पर,चलो देखते हैं बिना आदिवासियों के कैसे बहेगा आक्सीजन तुम्हारे  56 इंची सीने पर।।इतिहास गवाह हैं प्रकृति चश्मदीद हैं
मूलनिवासियों कि आह! का असर...रुक जरा तुम्हे भी संविधान पढ़ाता हूँ प्रकृति के पन्ने पलट पलटकर रूक मैं भी फैसला सुनाता हूँ पेन बुमकाल "माटी कोर्ट"  में बुम उलट पलटकर!!!

(मरकाम नारायन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उद्देलित होकर ..मेरी जिर्र कि आवाज.. नीचे चित्र इण्डिजिनस /कोयतोरियन/प्रकृति का सर्वोच्च न्यायालय 
बुम बुढ़हा ऊसेह मुदिया पेन बुमकाल माटी कोट से)

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