एक आदिवासी युवक का दर्द: क्यूं हर बार मेरा घर जलाया जाता है ...
"आखिर क्यूँ"
क्यूं हर बार मेरा ही घर जलाया जाता है,
मेरा ही घर जलाकर मुझे ही घर से बेघर किया जाता है ।
आखिर क्यूं ,
क्या मैने अपनी संस्कृति को ना छोडकर गलत किया ,
या फिर अब तक बचाकर रखा ये गलत किया ।
क्यूं हर बार मुझे ही डराया जाता है ,
क्यूं हर बार मुझे ही हटाया जाता है ।
आखिर क्यूं ,
क्या मैनें प्रकृति को बचाकर गलत किया ,
या मैनें प्रकृति को भगवान माना ये गलत किया ।
क्यूं मेरा पूरा जीवन हर वक्त डर के साये में रहता है ,
कब कहां से मृत्यु आ जाऐ ये डर बना रहता है ।
आखिर क्यूं ,
क्या मैंने प्रकृति के साथ रहकर गलत किया ,
या फिर प्रकृति के साथ जीना सीखा , आगे बढ़ना सीखा यह गलत किया ।
क्यूं मुझसे मेरा ही अधिकार छीना जा रहा है ,
जो अधिकार मुझे प्राप्त है उससे ही दूर किया जा रहा है ।
आखिर क्यूं ,
क्या मैनें तुम्हारी बात ना मानी ये गलत किया ,
या फिर अपनो के साथ , प्रकृति के साथ खुश रहने लगा ये गलत किया ।
क्यूं मुझसे मेरा ही संसार छीना जा रहा है ,
क्यूं मुझे ही मेरे परिवार से अलग किया जा रहा है ।
आखिर क्यूं ,
क्या प्रकृति की सेवा करके मैनें गलत किया ,
या फिर जल-जंगल-जमीन से प्यार किया ये गलत किया ।
अगर ये सब गलत नहीं तो मेरा शोषण क्यूं ,
क्यूं मुझपर अत्याचार किया जाता है ।
आखिर क्यूं
✍️आशीष सिंदराम
Post a Comment