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महिला दिवस विशेष

8 मार्च
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

      आज यहां हम सभी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं,,,, लेकिन मेरा एक प्रश्न है कि क्या महिलाओं को उनका वास्तविक सम्मान अब तक मिल पाया है...????या केवल स्त्री के स्वरूप को शर्म, प्रेम,मर्यादा, त्याग, सहनशील इन्हीं भावनाओं का पर्याय माना है....
इनके ऊपर उठकर कभी नहीं सोचा..!!!आज सिर्फ एक दिन के लिए महिलाओं का सम्मान किया जाएगा...लेकिन कल फिर अखबार के पन्ने पलटकर देखना उनके शोषण की खबरों को....!!!

               आज का समाज कहता है कि स्त्री और पुरूष समान है ,,बराबर है..... लेकिन क्या सच में ऐसा है??? मेरे विचार से दोनों में कोई समानता नहीं है हाँ वो दोनों एक दूसरे के पूरक जरूर हैं....वे बराबर तो नहीं है लेकिन उनमें फर्क किया जाता है विचारों को लेकर....देखा जाए तो शारीरिक बनावट और मानसिक रूप से दोनों असमान है....शारीरिक रूप से एक स्त्री एक नये जीवन को जन्म दे सकती है लेकिन पुरूष नहीं.....मानसिक रूप से भी स्त्रियों में सहनशीलता बहुत अधिक होती है.... फिर कैसे कह सकते हैं कि दोनों समान है.... क्योंकि किसी न किसी क्षेत्र में दोनों में असमानता लाने का कार्य यह समाज ही करता है...न ही उसे निर्णय लेने की स्वतंत्रता मिलती है और न ही स्वच्छंद विचारों की...
              नारी इस संसार की सबसे महान विजय है...जिसे कोई जीत नहीं सकता...हां उसका शरीर जीता जा सकता है लेकिन उसका मन नहीं...शरीर भी तभी जब आप उसे स्त्री न समझकर केवल शरीर समझते हैं...तब "स्त्री संसार की महत्वपूर्ण रचना है" "जहां नारियों नारियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं " और न जाने क्या क्या इस प्रकार के कथन यहां पर निर्मूल हो जाते हैं,जब आप उस पर जीत हासिल करना चाहते हो.... या तो उसके कोमल शरीर को चोटिल करके या फिर मानसिक रूप से प्रताड़ित करके....फिर भी स्त्री और पुरूष उनके लिए समान है..!!!!!!
           इसके अलावा भी बहुत सी ऐसी समस्याएं है जो आज भी इस देश में व्याप्त है... यौन शोषण, बलात्कार, छेड़छाड़, सेक्सुअल हैरसमेंट, कन्या भ्रूण हत्या आदि आदि...यहां हर तीन घंटे में यौन शोषण होता है...फिर चाहे वो एक तीन साल की बच्ची हो या एक अधेड़ उम्र की महिला...और तो और एक महिला के साथ रेप करने के बाद अश्लील कपड़ों का हवाला देते हैं.... तो मैं पूछना चाहूंगी कि क्या कोई तीन- चार साल की बच्ची के कपड़े भी अश्लील होते हैं???? अरे अश्लीलता हमारे कपड़ों में नहीं उनके विचारों में है, जो अकेली लड़की को देखकर अपने बाप का माल समझ लेते हैं...ऐसे लोगों के लिए कहना चाहूंगी..."नजरें तुम्हारी बुरी और बुरका हम पहनें ??? "
             कभी संतान की चाहत में...कभी दहेज के लालच में...कभी शारीरिक सुख के लिए...न जाने कितनी ही महिलाएं आज शोषण का शिकार हो रही है...!!!!! ऐसी महिलाओं के लिए क्या महिला दिवस??? जिन्हें कभी समाज ने कोई सम्मान नहीं दिया...ऐसी महिलाओं की गणना अभी तक कम नहीं हुई है...बहुत सी ऐसी महिलाएं भी है जिन्होंने अपने परिवार, समाज, देश को गौरवान्वित किया है, लेकिन कहीं न कहीं कुछ समाज की दकियानूसी विचारधाराओं के कारण उन्हें मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती हैं....
            महिलाओं को किसी एक दिन के लिए विशेष सम्मान की आवश्यकता नहीं है बल्कि हमेशा आप स्त्री की भावनाओं की कद्र कीजिये, उनको निर्णय लेने की स्वतंत्रता दीजिए, उसकी प्रतिभा को पहचानने और उन्हें मात्र शरीर न समझकर स्त्री समझिये...यही उसका असली सम्मान होगा..... 🙏🙏🙏🙏🙏

मातृशक्ति याया न सेवा सेवा

रीना गोटे , भिलाई

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