आदिवासियों की आवाज सोनी सोरी , पुलिस की झूटे नक्सल उन्मूलन की शिकार हुई ...
सरकार के नक्सल उन्मूलन के सिद्धांत की शिकार हुई है सोनी सोरी जिसमे आदिवासियों की हत्याए, बलात्कार, दमन,शोषण की बुलंद आवाज बनी थी "सोनी",

सरकार और पुलिस के नुमाइंदों द्वारा नक्सल उन्मूलन के आम पर फर्जी मुठभेड़ कर हत्याओं , महिलाओ के
साथ बलात्कार, निर्दोषो को जेल में ठूसने का पुरजोर विरोध कर अपनी आवाज बुलंद करने वाली "सोनी" रकार और पुलिस की नजरो में हमेशा खटकती थी|
इससे पहले भी कई बार सोनी को धमकाया जा चुका है बाकायदा मिडिया की प्रेस वार्ता में भी सोनी को पुलिस के उच्च अधिकारी ने कई बार आड़े हाथो लिया है लेकिन सोढ़ी किसी से बिना डरे बेबाकी से आदिवासियों के शोषण,दमन के खिलाफ आवाज बुलंद करती है |
बस्तर में बीते सप्ताहों में आदिवासियों के हक,अधिकार के खिलाफ लिखने वाले पत्रकार, काम कर रहे सामजिक कार्यकर्ताओ, क़ानूनी लड़ाई लड़ रहे वकीलों को बस्तर पुलिस ने निशाना बनाते हुए उन्हें खूब प्रताड़ित किया है , पुलिस के द्वारा ही पोषक (पालतू ) सलवा जुडूम की तर्ज में तैयार मंच नाम के आसामजिक संस्था ने पुरीं गुंडई में उतर कर तोड़ -फोड़ धमकी -चमकी नारे बाजी आदि घटनाओं को अंजाम दिया है | सोनी की साथ घटी यह घटना बहुत बड़ा सवाल छोड़ रही है क्योकि पुलिस के द्वारा पोषक मंच हमेशा सोनी धमकाने -चमकाने में लगे रहते थे तो क्या यह घटना पुलिस के द्वारा पोषक मंच ने अंजाम दिया है |
नक्सल उन्मूलन के नाम पर दोनों ओर से जंग छिड़ी हुई है जिसमे आम आदिवासी ही बलि का बकरा बन रहा है, पुलिस के द्वारा जहा आम आदिवासियों की मुठभेड़ के नाम पर हत्याएं हो रही है बेगुनाहों को जेलों में बंद किया जा रहा है इन सबकी आवाज बनने वाले पत्रकार ,वकील.समाजिक कार्यकर्ता को पुलिस नक्सल समर्थक बता कर प्रताड़ित किया जाता है उसी हमले का शिकार सोनी सोढ़ी भी हुई है | सरकार को परेशानी ये है की नक्सल उन्मूलन के नाम पर आदिवासियों के साथ हत्याओं ,बलात्कारो, शोषण ,दमन को जब अंजाम दिया जा रहा हो तो इसकी आवाज कोई न बने,कोई शोर न करे और कोई आवाज उठता है तो उसे नक्सल समर्थक बता कर प्रताड़ित किया जाता है, उन्हें धमकी दिया जाता है उन पर हमले कराये जाते है जो बस्तर में विगत दिनों में हो रहा है पत्रकार,वकील,कार्यकर्त्ता को पुलिस निशाना बनाते हुए प्रताड़ित कर रही है | सरकार के नक्सल उन्मूलन के सिद्धांत का शिकार हुई है सोनी सोढ़ी |
इन सब के बिच सारे उन आदिवासी नेता जो आदिवासियों का ही वोट बटोर कर आदिवासियों के हत्याओ में मूक बाधिर बने तमाशबिन सारे घटना क्रम में बने है , सरकार की पुलिस ने सारे नेताओं के मुह में पेरा ढूस, हाथो और पांवों में बेडिया बाँध दी है जो छटपटा भी नही रहे है बस्तर में अगर आदिवासियों का विनाश में कभी इतिहास दौहराया जाएगा तो इन नेताओं का उल्लेख जरुर होगा |
फिलहाल बस्तर में अभिव्यक्ति का हनन, मौलिक अधिकारों की खटिया खड़े कर पुलिस का नक्सल उन्मूलन 2016 की फर्जी उपलब्धि जारी है जिसमे न जाने कितने बेगुनाह,निर्दोष आदिवासियों के खून से इस मिशन की नीव रख ताना-बाना बुनेगी सरकार |
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