आज भी नहीं बदली आदिवासियों की तकदीर, विकास के कोसो दूर है आमाबेड़ा क्षेत्र के आदिवासी । आदिवासियों का कब आने वाले है अच्छे दिन......


आज खाद,बिज अगर कोई बीमार पड़ जाए तो इलाज के लिए इसी लकड़ी के पुल से ग्रामीण गुजरते है । लेकिन तथाकथित विकास की सरकार जो विकास के बड़े-बड़े दावे ठोकती है उन्हें इन आदिवासी ग्रामीणों से सिख लेनी चाहिए , लाल आंतक का भय (डर)बता कर शासन प्रशासन ने तो हाथ खड़े कर दिये । लेकिन ग्रामीणों ने श्रम दान से लकड़ी के पुलिया का निर्माण कर डाला। बाकी जो पुल -पुलिया बनाई और सड़क बनाई गई वो उखड़ गई भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई । बाहुल्य क्षेत्रो में विकास सिर्फ कागजो में पूर्ण होते है ।
श्रम दान से ग्रामीणों ने तैयार किया लकड़ी का पुलिया
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आदिवासी बाहुल्य आमाबेड़ा क्षेत्र के कुरुटोला के ग्रामीणों ने श्रम दान से लकड़ी के पुलिया का निर्माण कर आवागमन व्यवस्थित किया है । पुराने स्टाप डेम के ऊपर बल्लियों के सहारे लकड़ी का पाटा बना कर पुलिया का निर्माण किया गया है । लेकिन नदी में पानी ज्यादा होने पर यह लकड़ी का पुल बाह ज्यादा है। ग्रामीणों के अनुसार हर साल यह लकड़ी का पुल को आस-पास के सारे ग्रामीण श्रम दान से बनाते है । नागरबेड़ा,टिमनार,कुरुटोला,चागोंड़ी,एटेगाव आदि ग्राम के ग्रामवासि इस लकड़ी के पुल में आवागमन करते है । अगर कोई इन गावो में बीमार है तो जिला मुख्यालय लाने के लिए उन्हें 60 किमी का सफ़र तय करना होता है, वो भी अगर छोटे नालो में पानी कम हो तो। आमाबेड़ा जाने के लिए उन्हें 30 किमी का सफ़र तय करना होता है। अगर कुरुटोला में पुलिया और सड़क का निर्माण हो जाए तो उन्हें मात्र 7 किमी का सफ़र तय करना पडेगा। खाद,बिज,स्वास्थ्य ,शिक्षा के लिए बारी दिकत्तो का क्षेत्र वासियो को सामना करना पड़ता है । इसी लकड़ी के पुल से बच्चे पाठशाला भी जाते है । फिलहाल तो ग्रामीणों ने सरकार के विकास के दावों को पोल खोलते श्रम दान से आवागमन सुचारू व्यवस्थित किया है ।
बरसात में 20 गावो का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट जायेगा ।
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जानकारी हो की बरसात में सड़क और पुलिया के आभाव में आमाबेड़ा क्षेत्र के 20 गावो का संपर्क जिला मुख्यालय से कट जायेगा ।


लाखो का पुल एक बरसात में बह गया
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गुमझिर और टिमनार के बिच बनाया गया लाखो का पुल एक बरसात भी झेल नहीं पाया और बह गया । यह पुल 15 से 20 गावो को जिला मुख्यालय और आमाबेड़ा से जोड़ता है । पुल के बह जाने से बरसात में अनेक गावो का जिला मुख्यालय से संपर्क टूट जाता है।
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