भाड़ में जाये ऐसा तथाकथित विकास....
कांकेर:-
जंहा हजारों निरीह वृक्ष कट रहे हो,पहाड़
का सीना छलनी कर सड़क निर्माण को अंजाम दिया जा रहा हो, जीव जन्तु जंहा भटकने को विवश हो ऐसे
तथाक
थित सरकार तथा प्रशासन के पर्यटन की संभावनाऐं और विकास के दावे भाड़ में जाऐ। हजारों वृक्षों की हत्या कर कांकेर नगर में स्थित ऐतिहासिक गढ़िया पहाड़ में सरकार सड़क निर्माण कर पर्यटन की दृष्टि के नाम पर विकसित और विकास के खोखले दावे कर कर रही ही है।



वैसे भी पूरे प्रदेश में कांक्रिट
के जंगलों का विस्तार कर किसे फायदा पहुंचाया गया है यह बताने की जरूरत नहीं है।
अव्यवस्थित विकास कर जनता को विकास की चाश्नी पिलाई जा रही है। विकास के नाम पर
वृक्षों की बली चढ़ाई जा रही है स्वभाविक है मौसम परिवर्तन का खतरा तो मंडरायेगा
और इसकी कीमत आम आदमी चुकायेगा यानि इसका मतलब है करे कोई भरे कोई ।
गढि़या पहाड़ पर रास्ता बनने से पहाड़ तो कमजोर होगा भविष्य में भूस्लखन का खतरा भी बढ़ेगा। रास्ता बनाने के कारण निरीह वृक्षों की कटाई होगी तो फिर वृक्षारोपण के नाम पर खानापूर्ति होगी। असमाजिक गतिविधियों के तेज होने की संभावना बनी रहेगी । वन्यप्राणियों के सुरक्षा को भी खतरा उत्पन्न होगा ऐसे में दो पहिया एवं चार पहिया वाहनों का निषेध जरूरी होगा इनके आवागमन से पहाड़ को झटका लगेगा बल्कि वृक्षों की अवैध तस्करी की आशंका बढ़ेगी।
गढि़या पहाड़ पर रास्ता बनने से पहाड़ तो कमजोर होगा भविष्य में भूस्लखन का खतरा भी बढ़ेगा। रास्ता बनाने के कारण निरीह वृक्षों की कटाई होगी तो फिर वृक्षारोपण के नाम पर खानापूर्ति होगी। असमाजिक गतिविधियों के तेज होने की संभावना बनी रहेगी । वन्यप्राणियों के सुरक्षा को भी खतरा उत्पन्न होगा ऐसे में दो पहिया एवं चार पहिया वाहनों का निषेध जरूरी होगा इनके आवागमन से पहाड़ को झटका लगेगा बल्कि वृक्षों की अवैध तस्करी की आशंका बढ़ेगी।
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