कांकेर --- पत्रकार
साईं रेड्डी
की हत्या
के बाद दक्षिण बस्तर
के पत्रकारों
में दहशत देखने को मिली और पत्रकारों का गुस्सा भी। वहीं हत्या को लेकर कई प्रश्न
में पत्रकारों
की दशा- दिशा विचार समाचार
संकलन जीवन सभी विषयों पर अब दिखने लगी है। रेड्डी की हत्या दक्षिण बस्तर
के पत्रकारों
को एक क्रांति की ओर इशारा कर रही है और पत्रकारों की एकजुटता बस्तर
के घनघोर
जंगल बासागुड़ा
में नजर भी आया।बीजापुर से बासागुड़ा थाने और कैम्प में जवान दिखे वहीं पत्रकारों की ये सफर यादगार
बन गई। जो कभी आज तक नहीं हुआ था।पत्रकारों में अपने स्वतंत्रता को लेकर शासन-प्रशासन
और माओवादियों
को सोंचने
के लिये मजबूर करती है। जिस तरह पत्रकार
साईं रेड्डी
देशबन्धु जिला प्रतिनिधि की हत्या हुई ह,ै उससे विरोध
का स्वर मुखर होना स्वाभाविक
है।जो कभी जंगल के चप्पे
चप्पे में पहुॅचकर नक्सलियों
की खबर लाता था, वही पत्रकार माओवादियों
के निशाने
में आ जाता है और रेड्डी जी को 6दिसम्बर को साप्ताहिक बाजार
में कुल्हाडे़
और फरसे से निर्दयता पूर्वक
हत्या कर दी जाती है और बासागुड़ा थाना सी आर पी एफ के जवान से नजर चुराकर
नक्सली भाग जाते हैं।वरिष्ठ पत्रकारों
की माने तो बासागुड़ा को बसाने में सांई रेड्डी का योगदान है पर वहीं पर वहीं रेड्डी जी की हत्या समझ से परे नजर आती है।पुलिस में रेड्डी की हत्या को नक्सलियों
द्वारा बताया
गया है लेकिन बस्तर संभाग
के पत्रकारों
का भावना
है कि अगर रेड्डी जी की हत्या किये हैं तो माओवादियों
को स्पष्ट
करना चाहिये।जैसे
पूर्व में सुकमा जिले के पत्रकार स्वर्गीय
नेमीचन्द्र जैन की हत्या को अपने उपर लेकर माफी मांगते हुये दोबारा भूल ना करने की बात कही थी तो इस बार क्यों चुप हैं? इसी बात को लेकर वरिष्ठ पत्रकार
कमल षुक्ला
ने बासागुड़ा
के विषाल
धरना प्रदर्षन
कार्यक्रम में माओवादियों को आवाज लगाते हुये वहां की स्व.पत्रकार साईं रेड्डी का क्या गल्तियॉ थी ?क्यों मारे हमे बताओ अभी तक चुप बैठना समझ नहीं आता ऐसे कहते हुये अपने बात को रखे। इस तरह बासागुड़ा
में पहुॅचे
सैकडों पत्रकारों
ने अपने अपने विचार रखने की कोषिष किये तो वहीं दो दर्जन से अधिक पत्रकारों ने सीधा सीधा माओवादियों
पर षब्दों
से प्रहार
किये यही नहीं दिल्ली , छत्तीसगढ
और उडिसा
महाराष्ट्र आंध्रप्रदेष
से पहुॅचे
पत्रकारों ने तो ये भी कहा कि हम तुम्हें अब समाचार से बहिस्कृत करते हैं। अब नक्सली
नहीं लिखेंगें
बल्कि दरिंदे
लिखें और किसी अखबार के मुख्य समाचार नहीं बल्कि किसी केाने
में रहोगे।
बहुत लोग इस तरह वहां पहुॅचे पत्रकारों
की जुबां
चलती रही लम्बी विचार रखने के बाद विषाल
धरना प्रदर्षन
में पहुॅचे
पत्रकारों ने पत्रकार साई रेडडी को उनके गांव के चौपाल
इमली के पेड के नीचे बैठकर श्रद्धांजली अर्पित
कर मौन धारण कर नमन किये वहीं उनके परिवार के लिये षासन प्रषासन
से सहयोग
राषि और षहीद में भी नाम जोडने प्रषासन
-षासन को बोले। दक्षिण बस्तर
में लगातार
दो पत्रकारों
की हत्या
से दक्षिण
पत्रकारी स्तब्ध है और सोचने को मजबूर
हो गई है कि आज स्व नेमीचंद जैन नहीं रहे और स्वर्गीय साई रेडडी नहीं रहे कल कहीं हमें तो ये माओवादी
षिकार ना बना दे यही विचार पत्रकारों के मन में घर कर गयी है जिससे पत्रकारों में दहशत है और अपनी स्वतंत्रता को लेकर चिंतित है।लोकतंत्र
का चौथा स्तंभ आज खुद समाचार बन गया है जो लोगों को समाज से सुख-दुख सही-गलत का जानकारी देता था । वह खुद परेषान है।क्या
बस्तर के पत्रकार माओवादियों
को भय से कभी मुक्त
होंगे या कभी नहीं।वहीं जगदलपुर
में भी पत्रकार साथियों
ने एक दिवसीय धरना प्रदर्षन कर अपनी बात रखी और छत्तीसगढ के राज्यपाल श्री षेखर दत्त और छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को ज्ञापन दिये जिसमें बस्तर
जिला पत्रकार
संघ ने स्वर्गीय साईं रेड्डी के परिजनों को 20लाख मुआवजे और रेड्डी के परिवार को षासकीय नौकरी
तथा नक्सल
प्रभावित क्षेत्र
में काम कर रहे पत्रकारों
की सुरक्षा
व कल्याण
के लिये कार्य योजना बनाने
की मांग किये हैं।बासागुडा और जगदलपुर मुख्यालय
में पत्रकार
एस करीमुद्दीन कमल षुक्ला विनोद कुषवाहा
आजाद सक्सेना नितिन सिन्हा
नीलकमल वैष्णव बप्पी राय सुधीर जैन अनिल मिश्रा संजय रेडडी सुप्रिया मिश्रा-पुष्पा रोकडे करमजीत हरजीत
सिंह रवि दुबे देवषरण तिवारीयुवा साहित्यकार पत्रकार
लक्ष्मीनारायण लहरे
चुनेष्वर जैन तामेष्वर सिन्हाप्रदीप चन्द्रोल नीलकमल वैष्णवगोकुल सुभाष विष्वकर्मा
युवा पत्रकार
संपादक और वरिष्ठ पत्रकार
मौजूद रहे वहीं रायपुर में धरना प्रदर्षन की तैयारी में दक्षिण बस्तर
पत्रकार विचार
में लगे हैं वहीं वरिष्ठ
पत्रकार कमल षुक्ला अबूझमाड़
में पदयात्रा
के लिये पत्रकारों को आवाहन किये हैं।
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