छत्तीसगढ़ में बस्तर के विकास के थोथे दावों और उसके सैन्यीकरण के नापाक इरादों को धता बताते बस्तर के आदिवासी स्वतः स्फूर्त आंदोलन और रैली निकाली
सोनी सोरी पर किये गये पुलिस हमले की दोषियों पर कार्यवाही की मांग भी रखी
पुलिस तंत्र,लट्ठ तंत्र को आदिवासियों ने नकारा।
अपनी मांगो को लेकर सरकार को चेताया ।
अपनी मांगो को लेकर सरकार को चेताया ।
बस्तर :- सुकमा जिले के छिंदगढ़ विकास खंड के हाजारो ग्रामीण अपनी विभिन्न मांगो को लेकर तहसीलदार को ज्ञापन सौपने जाने वाले है ।
आदिवासी स्वत: ग्रामीण इलाको से निकाल कर अपनी जायज मांगो को लेकर रैली की शक्ल में छिंदगढ़ तहसीलदार को ज्ञापन सौपने वाले है ।
जिसमे निर्दोष आदिवासियों को नक्सली बताकर जेल भेजने,फर्जी मुठभेड़ में मारने, आप नेत्री सोनी सोरी ऊपर किये गये प्राण घातक हमले के पुलिसिया हमलावरों को पकड़ने, तेंदुपत्ता बोनस बढ़ाने,मनरेगा की मजदूरी बढ़ाने आदि विभिन्न मांगो को लेकर आदिवासी स्वत: विशाल रैली की शक्ल में तहसीलदार को ज्ञापन दने जा रहे है ।
यह आदिवासियों की स्वतः रैली सरकार के उन तमाम बस्तर में विकास के दावे धरे की धरे रह जाती है, जिस तरह बस्तर में वर्तमान में पुलिस तंत्र लागू है, लट्ट तंत्र हावी है उन सब के बिच आदिवासियों का एक विशाल समूह अपनी मांगो को लेकर सरकार से गुहार लगा रही है ।
खबर है की आदिवासियों की संख्या लगभग 5000 से अधिक है, इस रैली को पुलिस द्वारा प्रायोजित झूटी घोषित न किया जाये इसीलिए रैली की जानकारी पहले ही दी गई थी ।
बस्तर में बेगुनाह आदिवासियों को नक्सली बता कर जेल भेजना उन्हें झूठे मुठभेड़ो में मारने के खिलाफ अब आदिवासी लामबंद हो रहे है सरकार और पुलिस तंत्र को सोचना चाहिए की अब आदिवासी अपने ऊपर हो रहे अन्याय अत्याचार के खिलाफ स्वयं आवाज बुलन कर रहे है | उन्हें सामाज के उन मठाधिशो की जरुरत नहीं है जो उनकी आवाज बनने के बजाय उनका इस्तेमाल करते है।
बरहाल छिंदगढ़ में आदिवासियों का विशाल जन समूह अपनी मांगो को लेकर सरकार के सामने रख रहे है सरकार उन्हें पूरा करती है या फिर लट्ठ तंत्र के जरिये फिर उनकी आवाज कुचल दी जाती है ।
Post a Comment