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अस्मिता की लडाई

तुमने हमारे राष्ट्र पर कब्जा किया,
तुमने हमारे गण्डतंत्र पर कब्जा किया,
तुमने हमारे संविधान पर किया ,
तुमने हमारे अधिकारों पर कब्जा किया,
तुमने संसद पर कब्जा  किया ,
न्यायालयों पर कब्जा किया,
अब एक एक कर  लोकतंत्र से हमें बेदखल करने का साजिश कर रहे हो।
आदिवासियों को जंगल से बेदखल कर क्या शहर में बसा पाओगे ?
सच में यकीन है आदिवासियों के बिना पर्यावरण को बचा पाओगे ?
उद्योग तुम लगाते हो, प्रदुषण तुम फैलाते हो , पर्यावरण को चौपट तुम कर रहे हो, जंगलों का विनाश तुम कर रहे हो,
और आदिवासियों को जंगल छोड़ने का फरमान जारी करते हो,
ताकि जंगलों का मालिक तुम बन उसका बुरी तरह उपभोग कर सको।
आदिवासी जंगलों व पर्यावरण का दुश्मन नहीं बल्कि तुम्हारे नापाक इरादों का दुश्मन है। आदिवासी ही तो है जो तुम्हें जंगलों की कटाई से रोकते है, पशु तस्करी में बाधा है, ये तुम्हारे उद्योग जंगलों में घुसने नहीं देते न।।
तुम्हें जंगलों में घुसने नहीं देते न।। इसलिए।।
- नारवेन कासव टेकाम

कवि पेशे से डाॅक्टर हैं
वर्तमान में सुरजपुर जिले के प्रतापपुर में कार्यरत हैं

1 comment:

  1. 👌बहुत बढिया, वास्तविकता यही है।
    बाहर से आए लोग आदिवासी कि जमीन जंगल जल छिनकर आदिवासी को ईस देश से मिटाना चाहते है।आरएसएस हो या बामसेफ हो,दोनों का मकसद एक ही है।ईसलिए आदिवासी को धर्म के जाल मे फँसाकर वो आदिवासी का मूलवासीत्व खत्म करना चाहते है।आदिवासी क्रांतीकारक,महापुरुषद्‌वारा किया हुआ संघर्ष ही अस्मिता का एक अंग है।जब अस्मिता जागती है तो ईतिहास खडा कर देती है।अस्मिता जागेगी तभी संस्कृती टिकेगी और संस्कृती टिकेगी तभी आदिवासी का अस्तित्व बचेगा।जोहार।आप कि जय।जय आदिवासी।रामदास शिंदे 7769847321

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