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संवैधानिक जागरूकता के लिए आदिवासी नौजवानो का कांकेर में हुआ जुटान, हक अधिकार ही हुई बात।



पर्यावरण दिवस 5 जून को उत्तर बस्तर कांकेर जिले में तमात प्रदेश के आदिवासी नौजवान युवक-युवतियों का जमावड़ा लगा था, इक्कठे होने का कारण यह था कि वाह अपने संवैधानिक हक-अधिकारों को जान सके उस पर चर्चा कर सके वो भी आज ऐसे समय मे जब सररकारे और प्रशासनिक अमला आदिवासियों को दिए संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रही हो ।

कांकेर में हुए इस संवैधानिक नौजवान के परिचर्चा के मायने अपने अधिकारों के संरक्षण के लिए था जहाँ प्रदेश के तमाम युवा वर्ग समल्लित हुआ था, बस्तर में जारी खूनी हिंसा आदिवासियों के दमन, हक अधिकारों की बात नौजवान अब बेबाकी से कहने लगे है विरोध करने लगे है । अपने रुढिगत परम्परागत संस्कृति को जिंदा रखने में मिल का पत्थर साबित होंगे यह नौजवान।



हम देखते है आज अनुसूचित क्षेत्र का कलेक्टर भी पेसा कानून, पांचवी अनुसूची तमात आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को लेकर अनभिज्ञता जाहिर करता है। इस दौर में ये नौजवान युवक-युवतियां सीना ताने संविधान के दायरे में रह कर अपने अधिकारों की बात करते है । संस्कृति-सभय्ता के आउटसोर्सिंग के खिलाफ बुलन्द आवजे उठाते हैं । संरक्षण , संवर्धन की बात करते है । यह एक नए क्रांति का आवाज है। आदिवासी नौजवानो की यह दहाड़ सरकार पर भारी पड़ने वाली है ।

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