तमनार ब्लॉक में कोयला खदानों और थर्मल पावर प्लांट से लोगो की जिन्दगी खतरे में..पीपुल्स फर्स्ट कलेक्टिव के मेडिकल रिपोर्ट से खुलासा.
रायपुर:-पीपुल्स फर्स्ट कलेक्टिव के मेडिकल और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा आयोजित एक
स्वास्थ्य अध्ययन में छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के तमनारब्लॉक में कोयला खदानों और
थर्मल पावर प्लांटों के आसपास रहने वाले निवासियों के बीच गंभीर स्वास्थ्य
समस्याएं देखी गई हैं राजधानी
रायपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस में समिति के सदस्य रिंचिन, डॉ मनन गांगुली, डॉ समरजीत जाना ने गुरुवार
को पत्रकारवार्ता में इसका खुलासा करते हुए एक रिपोर्ट
प्रस्तुत किया गया। रिपोर्ट के अनुसार बिजली
संयंत्रों और कोयला खानों के 2 किलोमीटर के प्रभावक्षेत्र के भीतर आने वाले तामनार
ब्लॉक के 3 गांवों में
500 से अधिक
लोगों का सर्वेक्षण किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक “इस अध्ययन में प्रतिभागियों के बीच पहचाने जाने वाली
स्वास्थ्य संबंधी शिकायतें काफी अधिक है।”
निवासियों के बीच दस सबसे प्रचलित गंभीर स्वास्थ्य
स्थितियों में बालों के झड़ने और कमजोर बाल ;
मॉस पेशियों और जोड़ों का दर्द, शरीर और पीठ में दर्द; शुष्क, खुजली और
त्वचा के रंग का उतरना और पैर के तलवे का फटना ; और सूखी खाँसी की शिकायतें शामिल है।
स्वास्थ्य और रसायन विशेषज्ञों द्वारा कोसमपाली, डोंगामहुआ, कोडकेल, कुंजेमुरा और
रेहगांव गांवों में हवा, पानी, मिट्टी और तलछट में रसायन की उपस्थिति की जांच की गई। इनके
निवासियों द्वारा कोयला खानों, तापीय बिजली संयंत्रों और कोयला राख तालाबों से गंभीर प्रदूषण
और स्वास्थ्य समस्या की शिकायतों पर यह जांच की गई थी.
आप को बता दे कि
तमनार के इन गांवों में हवा में प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक स्थिति में पहुंच गया
है और असंयमित दोहन से तमनार के इन गांवों में भूजल स्तर में भी तेज गिरावट आई है
और यह सब पूर्व में कोयला खनन कर रही जिंदल एवं वर्तमान में एसईसीएल के कारण हुआ है।
ग्रामीणों ने एनजीटी एवं कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए पर्यावरण विभाग पर कुछ
नहीं करने का आरोप लगातार लगते रहा है ।
गौरतलब हो
कि पिछले पांच वर्षो के अंतराल मे रायगढ़ जिले में 100
से ज्यादा
फैक्टरियां कारखाने और कोयले खदाने जिस गति से संचालित हुई उससे कहीं अधिक इससे
उत्पन्न प्रदूषण है। स्पंज आयरन फैक्ट्ररियों के अलावे कोयला आधारित पावर प्लांटो
में अनगिनत वृद्धि हुई। रायगढ़ के संचालित के साथ-साथ तमनार में संचालित बड़े
कारखानों व खदानों ने नियम की धज्जियां उड़ाते हुये पर्यावरण को दूषित करने कोई
कसर नहीं छोड़ी। रागयढ़ जिले मे औद्योगिक विस्तार के कारण यातायात का दबाव बड़ गया
है जिसके चलते तमनार क्षेत्र में सड़क परिवहन से कारखानों मे कच्चा माल सप्लाई
करने के कारण सड़के व्यस्त हो गयी है। वहीं औद्योगिक दुर्घटनाओ के साथ-साथ सड़क
दुर्घटनाओं मे दिनों दिन वृद्धि हो रही है। वायु एवं जल प्रदूषण के कारण जहां लोग
खांसी एवं दमा जैसे गंभीर बीमारियों के चपेट में है।
रिपोर्ट के मुताबिक
“इसके अलावा अध्ययन के निष्कर्षों के
मुताबिक, “महिलाओं ने मुख्य
रूप से कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव किया था, जिनमें से सूखी खांसी (77%), बालों के झड़ने (76%) और मॉस
पेशियों / जोड़ों का दर्द (68%) सबसे
प्रचलित थे”।रिपोर्ट से यह पता चलता है कि उनके “अनुसंधान के दौरान यह पाया गया कि हवा, पानी, मिट्टी और
तलछट में पाए जाने वाले जहरीले पदार्थों के खतरनाक स्तरों के संपर्क में आने का,आसपास में स्थित
निवासियों द्वारा अनुभव किये जा रहे
गंभीर स्वास्थ समस्याओं से जुड़े होने की संभावना है”
अध्ययन के प्रमुख
जांचकर्ताओं में से एक डॉ. मननगांगुली के अनुसार,
“इस अध्ययन के निष्कर्ष महत्वपूर्ण हैं जिसके लिए तत्काल उपायों का करना
ज़रूरी है। रिपोर्ट बताती है कि छत्तीसगढ़ के रायगढ़ क्षेत्र में पीढ़ियों से रहने
वाले लोगों पर बड़े पैमाने पर खनन, कोयला
आधारित बिजली संयंत्र और अन्य उद्योगों ने स्थायी नकारात्मक प्रभाव डाल दिए हैं।
इन सबके चलते, उनके पर्यावरण, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ गंभीर रूप से
समझौता किया गया है। ”
डॉक्टर
समरजीत जाना के अनुसार, जिन्होनें
अध्ययन के लिए चिकित्सा शिविर का नेतृत्व किया था,
“खनन और बिजली संयंत्रों के पड़ोस में रहते हुए बहुत कम स्थानीय निवासियों
का स्वास्थ्य अच्छा है। हमने वहां के निवासियों में कई स्वास्थ्य शिकायतों को देखा
है, और चिकित्सकीय रूप से यह विषाक्त
पदार्थों के लोगों को जोखिम पहुँचाने के एक से अधिक तरीके को इंगित करता है। हमने
एक से अधिक परिवार के सदस्य को एक जैसी स्वास्थ्य शिकायतों का सामना करते हुए
देखा। युवा उम्र के लोगों में मांस पेशी सम्बंधित स्वाथ्य की शिकायतों के उच्च
स्तर का होना काफी चौंकाने वाला खुलासा था। हमें सूखी खासीं की शिकायतें काफी मिली
न की उत्पादक खाँसी की जो की इस बात की और संकेत देती है की लोगों में यह सारे
लक्षण एलर्जी से हो रहे हैं न की रोगजनक (pathogens)
से ।ये
स्वास्थ्य लक्षण, इस क्षेत्र
में जल, वायु और मिट्टी के पर्यावरणीय नमूने में
पाए जाने वाले जहरीले रसायनों के प्रभाव की पुष्टि करते हैं । ”
अध्ययन में यह भी
पाया गया कि “किडनी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं और
मधुमेह की बार-बार शिकायतें की गई”, लेकिन
देनिक जानकारी को साबित करने के अभाव में, पर्याप्त
रूप से इसका पता लगाया नहीं जा सका। इसी तरह मानसिक बीमारी और विकलांगता से
संबंधित निष्कर्ष, जो की
लोगों में काफी दिखाई दी और मेडिकल टीम के एक मनोचिकित्सक द्वारा लोगों में उसके
होने की पुष्टि भी की गयी, का भी समय
और संसाधन बाधाओं के कारण पूरी तरह से जांच नहीं की गई थी। इसके अलावा रिपोर्ट में
कहा गया है, “टीबी के 12 मामलों की पहचान सरसमाल के 341 लोगों से बातचीत करके सामने आये, जिन्होनें वर्तमान में या हाल ही में अपना इलाज पूरा
करा । इस बीमारी का इतना अधिक लोगों में होना इस बात के और संकेत करता है कि पर्यावरणीय
कारणों से टीबी और / या सिलिकोसिस की और भी अधिक मामले होंगे जिसकी की जांच होनी
चाहिए। ”
रिपोर्ट में यह भी
मांग की गयी है की जब तक खदानों और बिजली संयंत्रों की व्यापक स्वास्थ्य प्रभाव
आकलन पूरा नहीं हो जाता और उनकी सिफारिशें लागू नहीं की जाती हैं तब तक मौजूदा
खदानों के विस्तार और नई कोयला खदानों की स्थापना पर रोक लगाया जाये। यह राज्य और
केंद्रीय एजेंसियों को कोयला खानों और कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के आसपास के
समुदायों में प्रदूषण की प्रकृति और सीमा की पहचान करने के लिए अधिक गहराई से
अध्ययन करने और स्वच्छ उपायों, हवा, मिट्टी और जल ( सतह और भूमिगत) स्रोतों को संचालित
करने के लिए कहता है । अध्ययन में यह भी कहा गया है कि कोयला खदानों और कोयला
आधारित बिजली संयंत्रों के 5 किलोमीटर
के अंतर्गत रहने वाले लोगों की उचित स्वास्थ्य देखभाल और निशुल्क विशेष उपचार को
तत्काल उपलब्ध कराया जाये .
पर्यावरण नमूने के
परिणामों के बारे में: इस साल अगस्त में चेन्नई स्थित सामुदायिक पर्यावरण
मॉनिटरिंग ने “छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के तमनार और घरघोडा
के ब्लॉक में कोयला खदानों, थर्मल पावर
प्लांट्स और ऐश पॉन्ड्स के आसपास पर्यावरण नमूनाकरण पर रिपोर्ट” नामक एक अध्ययन जारी किया था।
अध्ययन के अनुसार, इस क्षेत्र के चारों ओर पानी, मिट्टी और तलछट के नमूने में एल्यूमिनियम, आर्सेनिक, एंटीमनी, बोरान, कैडमियम, क्रोमियम, लीड, मैग्नीज, निकेल, सेलेनियम, जिंक और
वैनडियम सहित कुल 12 विषैली
धातुएं मिलीं।
12 विषाक्त
धातुओं में से 2, कार्सिनोजेन हैं और
2 संभावित कार्सिनोगेंस हैं। आर्सेनिक और
कैडमियम जाना माना कार्सिनोजेन्स है और लीड और निकेल संभवतः कार्सिनोजेन्स हैं।
कई सारी यह धातुएं, सांस की बीमारियां,
सांस में
कमी आना, फेफड़ों की क्षति, प्रजनन क्षति, जिगर और
गुर्दा की क्षति, त्वचा पर
चकत्ते, बालों के झड़ने, भंगुर हड्डियां, मतली, उल्टी, दस्त, पेट दर्द, मांसपेशियों
और जोड़ों के दर्द और कमजोरी आदि का कारण होता है
साभार पीपुल्स फर्स्ट कलेक्टिव के स्वास्थ्य अध्ययन समिति के सदस्य रिंचिन, डॉ मनन गांगुली, डॉ समरजीत जाना की प्रेस विज्ञप्ति और रिपोर्ट के आधार पर
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