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बस्तर आईजी को हटाने नारे बाजी, फर्जी मुठभेड़ के खिलाफ छात्रों ने निकाला जंगी रैली


बस्तर में गोलीकांड में मारे गए स्कूली छात्रों के मामले में सोमवार को आदिवासी छात्र-छात्राओं ने सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया। रैली के दौरान बस्तर आईजी को हटाने व आदिवासी छात्रों की हत्या बंद करने को लेकर जमकर नारेबाजी की गई। प्रशासन को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने और मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई है। 
आदिवासी छात्र संगठन व गोंड़वाना गणतंत्र पार्टी का आरोप है कि 23 सितंबर को बस्तर के थाना बुरगुम के गांव सांगवल में पुलिस ने दो स्कूली छात्रों को माओवादी बताकर मौत के घाट उतार दिया। छात्र सोनलूराम व सोमड़ू को पुलिस पकड़कर जंगल ले गई और गोली मारी। पीजी काॅलेज के पास से सोमवार को छात्र-छात्राओं ने हाथों में तख्ती लिए रैली निकाली आैर पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की। 

रैली में पीजी काॅलेज के अलावा पीएमटी बालक, बालिका छात्रावास व महिला आईटीआई की छात्राएं शामिल हुईं। गोंगपा के युवा प्रभाग के प्रांतीय अध्यक्ष हेमलाल मरकाम ने इस दौरान कहा कि यदि पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिला, तो उग्र आंदोलन करते हुए बस्तर संभाग को बंद किया जाएगा। प्रदर्शन में छात्रसंघ अध्यक्ष मनीष कुमेटी, पार्षद अंकित पोटाई, लोकेश कुंजाम, योसीन कुमेटी, अनमोल मंडावी, सुबोध ध्रुव, आदि शामिल थे। 

नक्सल समस्या की आड़ में हत्या करने का आरोप नक्सल समस्या की आड़ में आदिवासियों का खात्मा, निर्दोषों से मारपीट कर झूठे केस में जबरदस्ती जेल में बंद करने और सुरक्षा बल पर तलाशी के नाम पर महिलाओं के साथ अश्लील हरकत करने का आरोप ज्ञापन में लगाया गया है। इसके लिए आईजी को कसूरवार बताते हुए हटाने की मांग भी की है। 
सूची जारी करने, जन सुरक्षा कानून हटाने की मांग छग विशेष जन सुरक्षा कानून और राष्ट्रीय अधिनियम जैसे दमनात्मक कानून वापस लेने की भी मांग भी की गई है। इसके अलावा मांग की गई है कि निर्दोष की हत्या कर नक्सली होने का आरोप लगाया जाता है। यदि पुलिस के पास उनके नक्सली होने की पुख्ता जानकारी है, तो वह जिलेवार नक्सलियों की सूची जारी करे। 

भास्कर न्यूज | कांकेर से साभार 

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