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छत्तीसगढ़ सरकार ने जबरन कलगांव के आदिवासियों पर बीएसपी टाउनशिप थोपी; विरोध में स्थानीय आदिवासियों ने दिया तहसीलदार को ज्ञापन

  "बीएसपी टाउनशिप निर्माण के लिए  वन अधिकार अधिनियम 2006 का उल्लंघन कर जमींन अधिग्रहण करने में लगी है कांकेर जिला प्रशासन ..
 "खबर है कि प्रशासन अब ग्राम वासियों के विरोध को देखते हुए सारे नियम -कायदे ताक में रख कर बिना किसी सुचना के ग्राम सभा कराने जा रही है, जिसमे मुठ्ठी भर उद्योगजगत के सेठ मौजूद रहेंगे ।
 कांकेर जिले में अंतागढ़ ब्लाक के  ग्राम कलगांव में 40 वर्षो से खेती-किसानी कर रहे ग्रामवासियों से प्रशासन
        जानकारी के अनुसार  बिना ग्राम सभा के प्रस्ताव के प्रशासन कलगांव ग्रामवासियो की जमीन बीएसपी को सौप देना चाह रही है, ग्रामीण टाउनशिप के लिए अपनी जमींन देना नही चाह रहे है।   प्रशासन उनका मालिकाना हक छीन रही है , कभी बन्दुक की नोक पर जमींन हथियाने की कौशिश तो कभी राजनीतिकरण के पैंतरे अपनाते हुए जबरन जमींन अधिग्रहण को आतुर कांकेर जिला प्रशासन के नुमाइंदे, ग्राम सभा के अनुमति के बिना  किसानो की जमींन हडप लेना चाह रही है| प्रशासन द्वारा पेशा कानून 1996 का भी घोर उल्लंघन कर बिना ग्राम सभा के प्रस्ताव के बिना जमीन अधिग्रहण में लगी है।
बीएसपी  टाउनशिप निर्माण के लिए  वन अधिकार अधिनियम 2006 का उल्लंघन कर जमींन अधिग्रहण करने में लगी है।
22-08-2016 दिन मंगलवार को कलगांव के ग्रामीणों ने अंतागढ़ तहसीलदार को आवेदन के माध्यम से जमींन अधिग्रहण को लेकर  आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि यह पांचवी अनुसूची क्षेत्र है, कोई भी परियोजना के क्रियान्वयन के लिए ग्राम सभा से सहमति आवश्क है, बीएसपी के टाउनशिप के लिए प्रशासन जो जमींन अधिग्रहण कर रही है उस परियोजना से  हम असहमत है,ग्राम सभा कलगांव अपने गाँव के पारम्परिक सीमा के अंदर की सारी जमींन एवं निस्तार की सारे साधन का मालिकाना अधिकार के लिए वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत सामुदायिक वन अधिकार की प्रक्रिया चल रही है, परियोजना के लिए जो जमींन अधिग्रहण किया जा रहा है वन अधिकार अधिनियम 2006 का उल्घंन किया जा रहा है, ग्राम वासियों ने टाउनशिप का विरोध करते हुए 6 अक्तूबर 2015 को जनदर्शन कांकेर में शिकायत भी दर्ज कराई थी, लेकिन जनदर्शन में शिकायत का अभी तक निराकरण नही हुआ, ग्राम वासियों ने कहा कि बीएसपी के परियोजना के लिए अधिग्रहण होने वाले 17.750 हेक्टेयर जमींन के अधिग्रहण पर रोक लगाया जाए और उन्हें उनका मालिकाना हक दिया जाए|  
 भिलाई इस्पात संयत्र द्वारा अंतागढ़ में टाउनशिप निर्माण को लेकर कलगांव वासी जमीन अधिग्रहण को लेकर विरोध दर्ज कर रहे है, ग्रामीणों के अनुसार 17.750 हेक्टेयर जमीन बीएसपी टाउनशिप के लिए अधिग्रहण किया जा रहा है, आदिवासी ग्रामीण 40 वर्षो से उक्त भूमि पर खेती - किसानी कर आनाज पैदा कर अपना जीवन -यापन चला रहे है । ग्रामीणों ने बताया कि उक्त भूमि को ग्राम सभा ने राजस्व पट्टा के लिये 21/08/2012 को सर्व सहमति से प्रस्तावित कर दिया है । वही वन अधिकार कानून 2006 की धारा 5 के अन्तगर्त ग्राम सभा ने सामुदायिक वन अधिकार एव व्यक्तिगत वन अधिकार दावा प्रक्रिया शुरू करने हेतु प्रस्ताव पारित कर दिया गया गया था। ग्रामीणों के अनुसार टाऊनशिप के लिये जैसे ही उन्हें जमीन को अधिग्रहण की खबर मिली तो ग्रामीणों ने असहमति, आपत्ति दर्ज कराते हुये लिखित में तहसीलदार को कई ज्ञापन भी सौपे थे।
ग्रामीणों ने कहा कि  बीएसपी के टाउन शिप के लिए अंतागढ़ में जामिन अधिग्रहण के बाजाय कलगांव में आदिवासियों की जामिन को जबरन अधिग्रहण करने का प्रयास किया जा रहा है। टाउनशिप से सिर्फ उद्योगपति सेठो और राजनेताओं को लाभ है, जिसके किए कलगांव में खेती-किसानी कर रहे किसानों की जमींन को मोहरा बनाया जा रहा है। खबर है कि स्थानिय कांग्रेस नेत्री कांति नाग कलगांव में जमींन अधिग्रहण को लेकर डटी हुई है, ग्रामीणो का कहना है कि श्रीमती नाग को अंतागढ़ में अपनी जमीन पर टाउनशिप निर्माण करना चाहिए न की खेती-किसानी कर रहे कलगांव के किसानों के जमीनों को जबरिया अधिग्रहण में हिस्सेदारी निभाना चाहिए ।
  खबर है कि प्रशासन अब ग्राम वासियों के विरोध को देखते हुए सारे नियम -कायदे ताक में रख कर बिना किसी सुचना के ग्राम सभा कराने जा रही है, जिसमे मुठ्ठी भर उद्योगजगत के सेठ मौजूद रहेंगे ।
              ज्ञात हो की आदिवासी बाहुल्य बस्तर में उद्योगपतियों को जमीन देने के लिये शासन -प्रशासन अधिग्रहण के तहत ग्राम सभा में फर्जी तरीके से प्रस्ताव पारित करा लिया जाता है। कई मामले ऐसे भी है जिसमे अधिग्रहण की जानकारी ग्रामीणों को भी नही होती है, और न ग्राम सभा होता है और अगर होता भी है तो इसी तरह प्रशासन द्वारा ग्रामीणों के मन में फ़ोर्स, जमीन नही देने पर जेल होना बता कर प्रस्ताव पारित करा लिया जाता है । बस्तर में जमीन अधिग्रहण के कई मामले ऐसे भी है जिसमे जो ग्रामीण विरोध करता है उन्हें फर्जी नक्सल मामलो में लिप्त कर दिया जाता है।

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