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IAS मेमन को जेएनयू के भाषण पर ट्विट करने पर राज्य सरकार नोटिस थमा सकती है, तो फिर बस्तर एसपी को क्यों नही?


बस्तर एसपी फेसबुक  पोस्ट का स्क्रीन शॉट 
IAS एलेक्स पाल मेनन को हाल ही में जेएनयू के अध्यक्ष कन्हैया के भाषण का सपोर्ट करने के आरोप में राज्य सरकार ने नोटिस जारी किया था| जानकारी ही कि बेशक एक IAS को पद की गरिमा को रखते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत अपनी बात रखनी चाहिए थी, जिसका राज्य सरकार ने कार्यवाही के लिए नोटिस भी जारी किया |
लेकिन क्या बस्तर में पदस्थ आईपीएस आर एन दास {बस्तर एसपी} का अपने निजी फेसबुक वाल में यह लिखना सही है की "बस्तर से कुछ लोग भाग कर चाँद छु रहे है, डंडा भूल गए है, नक्सलियों के पालतू कुत्ते है, बांसुरी बांस" इत्यादि|
जब IAS मेमन को जेएनयू के भाषण पर ट्विट करने पर राज्य सरकार नोटिस थमा सकती है, तो फिर बस्तर एसपी को क्यों नही? क्या उन्होंने गलत नही लिखा? इस तरह किसी को भी खुले आम धमकी देना सही है? या फिर बस्तर में नियम-कानून चलता ही नही है?
वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला लिखते है बस्तर पुलिस अधीक्षक राजेंद्र नारायण दास की इस फेसबुक पोस्ट से बस्तर में पदस्थ पुलिस अधिकारियों की घृणित मानसिकता, ऊष्च्छृंखलता , बस्तर में चल रहे दमन और छत्तीसगढ़ सरकार की घटिया नीति क्या उजागर नहीं होती ? - - - यह टिप्पणी निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकार प्रभात सिंह के लिए की गयी है जो अपनी ईमानदार पत्रकारिता की कीमत तीन माह जेल में बिताकर अभी दिल्ली में वहां के पत्रकारों के बुलावे पर गए हुए हैं , इसी घटिया मानसिकता के अधिकारी की साजिश के शिकार होकर | क्या इस प्रदेश में इस तरह खुले आम धमकी देने और प्रताड़ित करने की छूट दे दी गयी है ???

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