बस्तर में पत्रकारों की मुश्किलें जारी, अब महिला पत्रकार के घर पर हमला, धमकियां
बस्तर साभार http://khabar.ndtv.com/news/raipur/journalist-malini-subramaniam-house-in-bastar-attacked-1275597
: छत्तीसगढ़ के बस्तर में दो पत्रकारों को 'नक्सली मामलों' में जेल में डालने और ज़मानत न देने का विवाद थमा भी नहीं कि अब कुछ लोगों द्वारा एक महिला पत्रकार के घर पर पथराव किए जाने और धमकियां देने से पुलिस पर नए सिरे से सवाल खड़े हो रहे हैं। महिला पत्रकार मालिनी सुब्रमण्यम का ये भी आरोप है कि पुलिस वाले जबरन देर रात उनके घर पूछताछ करने के लिए आए और उनकी रिपोर्टिंग को लेकर उन्हें परेशान किया जा रहा है।
ऑनलाइन न्यूज पोर्टल स्क्रोल डॉट इन के लिए जगदलपुर से लिखने वाली पत्रकार मालिनी का कहना है कि उनके घर सोमवार सुबह पत्थर फेंके गए और उनकी कार का पिछला शीशा तोड़ दिया गया। इससे पहले रविवार को करीब 20 लोगों ने मालिनी के घर के सामने इकट्ठा होकर नारेबाज़ी की। उन्हें नक्सली समर्थक बताया और उन पर आरोप लगाया कि उनकी रिपोर्टिंग से बस्तर और यहां की पुलिस की छवि खराब हो रही है।
हालांकि एसपी राजेंद्र दास ने हमारे प्रतिनिधि से फोन पर कहा, 'शिकायत के आधार पर जांच की जा रही है और एफआईआर दर्ज हो गई है।' लेकिन मालिनी का कहना है कि उन्हें इस बारे में कुछ पता नहीं है कि एफआईआर असल में दर्ज हुई है। 'मुझे कलक्टर ने फोन कर भरोसा ज़रूर दिया है कि वह एसपी से बात करेंगे और मुकदमा दर्ज किया जाएगा पर अभी सिर्फ प्रक्रिया ही चल रही है।'
स्क्रोल की न्यूज़ एडिटर सुप्रिया शर्मा का कहना है, 'हमले के कई घंटों बाद तक भी पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया और हम अपनी सहयोगी मालिनी की सुरक्षा को लेकर फ्रिक्रमंद हैं।'
मालिनी ने अपनी शिकायत में सामाजिक एकता मंच संगठन के दो लोगों मनीष पारेख औऱ संपत झा का नाम लिया है। दिलचस्प है कि मनीष बीजेपी और संपत कांग्रेस का कार्यकर्ता है। सामाजिक एकता मंच का दावा है कि वह नक्सलवाद के खिलाफ लोगों को लामबंद कर रहा है और उन सारे लोगों का विरोध कर रहा है, जो नक्सलियों को समर्थन कर रहे हैं। मंच के संस्थापक मनीष पारेख का कहना है, 'हम हिंसा का विरोध करते हैं। लोकतंत्र पर भरोसा करते हैं। हमारी संस्था एकता मंच के कार्य को बदनाम करने की कोशिश हो रही है।'
उधर मालिनी सुब्रमण्यम का कहना है कि इन लोगों ने उन्हें पहली बार 10 जनवरी को धमकाया और कहा कि नक्सलियों के लिए काम कर रही हैं। तब से लगातार मुझे परेशान किया जा रहा है। अब ये लोग हमारे पड़ोसियों को भी भड़का रहे हैं कि मैं नक्सली समर्थक हूं’ मालिनी ने कहा।
उधर छत्तीसगढ़ में सहाफी पहले ही पुलिस के निशाने पर हैं। स्थानीय पत्रकार संतोष यादव और सोमारु नाग को पुलिस नक्सली समर्थक बताकर जेल में डाल चुकी है। इन दोनों की गिरफ्तारी के खिलाफ सैकड़ों पत्रकार रायपुर और जगदलपुर में प्रदर्शन कर चुके हैं लेकिन मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी अभी तक दोनों को राहत नहीं मिली है।
मालिनी सुब्रमण्यम ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, ‘ये हालात डराने वाले हैं। पत्रकारों के पेशे को इस तरह चुनौती दी जा रही है। जनवादी तरीके से आप किसी का भी विरोध कर सकते हैं लेकिन किसी के घर पर हमला करना और इस तरह धमकाना कतई ठीक नहीं है। इससे लगता है ये लोग सच्चाई लिख रहे दूसरे पत्रकारों को भी डराना चाहते हैं।’
: छत्तीसगढ़ के बस्तर में दो पत्रकारों को 'नक्सली मामलों' में जेल में डालने और ज़मानत न देने का विवाद थमा भी नहीं कि अब कुछ लोगों द्वारा एक महिला पत्रकार के घर पर पथराव किए जाने और धमकियां देने से पुलिस पर नए सिरे से सवाल खड़े हो रहे हैं। महिला पत्रकार मालिनी सुब्रमण्यम का ये भी आरोप है कि पुलिस वाले जबरन देर रात उनके घर पूछताछ करने के लिए आए और उनकी रिपोर्टिंग को लेकर उन्हें परेशान किया जा रहा है।
ऑनलाइन न्यूज पोर्टल स्क्रोल डॉट इन के लिए जगदलपुर से लिखने वाली पत्रकार मालिनी का कहना है कि उनके घर सोमवार सुबह पत्थर फेंके गए और उनकी कार का पिछला शीशा तोड़ दिया गया। इससे पहले रविवार को करीब 20 लोगों ने मालिनी के घर के सामने इकट्ठा होकर नारेबाज़ी की। उन्हें नक्सली समर्थक बताया और उन पर आरोप लगाया कि उनकी रिपोर्टिंग से बस्तर और यहां की पुलिस की छवि खराब हो रही है।
हालांकि एसपी राजेंद्र दास ने हमारे प्रतिनिधि से फोन पर कहा, 'शिकायत के आधार पर जांच की जा रही है और एफआईआर दर्ज हो गई है।' लेकिन मालिनी का कहना है कि उन्हें इस बारे में कुछ पता नहीं है कि एफआईआर असल में दर्ज हुई है। 'मुझे कलक्टर ने फोन कर भरोसा ज़रूर दिया है कि वह एसपी से बात करेंगे और मुकदमा दर्ज किया जाएगा पर अभी सिर्फ प्रक्रिया ही चल रही है।'
स्क्रोल की न्यूज़ एडिटर सुप्रिया शर्मा का कहना है, 'हमले के कई घंटों बाद तक भी पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया और हम अपनी सहयोगी मालिनी की सुरक्षा को लेकर फ्रिक्रमंद हैं।'
मालिनी ने अपनी शिकायत में सामाजिक एकता मंच संगठन के दो लोगों मनीष पारेख औऱ संपत झा का नाम लिया है। दिलचस्प है कि मनीष बीजेपी और संपत कांग्रेस का कार्यकर्ता है। सामाजिक एकता मंच का दावा है कि वह नक्सलवाद के खिलाफ लोगों को लामबंद कर रहा है और उन सारे लोगों का विरोध कर रहा है, जो नक्सलियों को समर्थन कर रहे हैं। मंच के संस्थापक मनीष पारेख का कहना है, 'हम हिंसा का विरोध करते हैं। लोकतंत्र पर भरोसा करते हैं। हमारी संस्था एकता मंच के कार्य को बदनाम करने की कोशिश हो रही है।'
उधर मालिनी सुब्रमण्यम का कहना है कि इन लोगों ने उन्हें पहली बार 10 जनवरी को धमकाया और कहा कि नक्सलियों के लिए काम कर रही हैं। तब से लगातार मुझे परेशान किया जा रहा है। अब ये लोग हमारे पड़ोसियों को भी भड़का रहे हैं कि मैं नक्सली समर्थक हूं’ मालिनी ने कहा।
उधर छत्तीसगढ़ में सहाफी पहले ही पुलिस के निशाने पर हैं। स्थानीय पत्रकार संतोष यादव और सोमारु नाग को पुलिस नक्सली समर्थक बताकर जेल में डाल चुकी है। इन दोनों की गिरफ्तारी के खिलाफ सैकड़ों पत्रकार रायपुर और जगदलपुर में प्रदर्शन कर चुके हैं लेकिन मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी अभी तक दोनों को राहत नहीं मिली है।
मालिनी सुब्रमण्यम ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, ‘ये हालात डराने वाले हैं। पत्रकारों के पेशे को इस तरह चुनौती दी जा रही है। जनवादी तरीके से आप किसी का भी विरोध कर सकते हैं लेकिन किसी के घर पर हमला करना और इस तरह धमकाना कतई ठीक नहीं है। इससे लगता है ये लोग सच्चाई लिख रहे दूसरे पत्रकारों को भी डराना चाहते हैं।’
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