तो पाटन के बिच पिसते बस्तर के आदिवासी...
मरकानार की महिलाओं ने बताया कि पुलिस कहती है कि गांव के लोग नक्सलियों का साथ देते हैं। |
पुलिस गांव में लगा दे कैंप
ग्रामीणों को डर कि कहीं पुलिस नक्सली मामले में न फंसा दे
मरकानार की महिलाओं ने बताया कि पुलिस कहती है कि गांव के लोग नक्सलियों का साथ देते हैं। उन्हें खाना देते हैं और उनके लिए काम करते हैं। जबकि हम सब खेती-किसानी कर जैसे-तैे अपना जीवन-यापन कर रहे हैं। पुलिस को शक है तो वह गांव में ही कैंप डाल ले। पूरे समय ग्रामीणों पर नजर रखे। इससे उन पर शक तो नहीं किया जाएगा और गांव में नक्सली समस्या भी नहीं रहेगी।
ग्राम बंगो घोड़िया क्षेत्र के ग्रामीण जिन्हों ने नक्सली दहशत के चलते छोड़ा गांव।
नक्सली दहशत के चलते छोड़ा गांव। |
जब पूरे परिवार पर नक्सली दहशत छाई, तो उन्हें गांव छोड़ना पड़ा। इधर पुलिस ने भी परिवार की कोई मदद नहीं की। पांडू राम के अनुसार 2013 में विधानसभा चुनाव के दौरान वोट डालने को लेकर नक्सली उसे उठाकर ले गए थे। मारपीट करने के बाद 10 हजार रुपए और 100 किलो धान का जुर्माना लेकर उसे छोड़ा गया था। नक्सली परिवार पर हमेशा पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाते रहे हैं। पिछले साल उसे और उसके भाई को उठाकर ले गए थे। तीन दिन तक बंधक बनाकर मारपीट की गई। उससे 5 हजार रुपए का जुर्माना लिया गया, इसके बाद भी उसके भाई पंडीराम को जान से मार दिया। इस घटना के बाद पूरे परिवार को गांव छोड़ना पड़ा। परिवार के सदस्यों के साथ अब वे बांदे में रह रहे हैं। नक्सल पीड़ित होने के बाद भी आज तक जिला व पुलिस प्रशासन ने उनकी कोई मदद नहीं की। अब उनके सामने भरण-पोषण की समस्या है।
दैनिक भास्कर कांकेर साभार
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