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कोयलीबेडा जनपद और भ्रष्टाचार का चोली-दामन का साथ है

 कोयलीबेडा जनपद और भ्रष्टाचार का चोली-दामन का साथ है | नरेगा भुगतान हो या इन्द्रावास योजना या कोई शासकीय योजना कोयलीबेडा जनपद में जनप्रतिनिधियों और कर्मचारियों के मिलीभगत से आम जनताओ के पैसो का गबन कर लिया जाता है तथा कोई ठोस कार्यवाही न होने के चलते अब तक घोटालेबाजों के हौसले बुलंद है | घोटालो की इस बढ़ती कड़ी ने सांसद गोदग्राम के साथ लगे हुए ग्रामपंचायत बड़े-कापसी को भी नही बख्शा | ग्रामपंचायत बड़े-कापसी के सरपंच, उपसरपंच और सचिव ने मिलकर घोटालो की सारी हदे पार करते हुए बेबस मजदूरो के खून-पसीने की कमाई तक को डकार गए , यह के पंचायत घोटाले बंधुओ पर लगभग 15 लाख से भी ज्यादा रकम को डकार जाने का आरोप है | ग्राम-पंचायत बड़े-कापसी में वर्ष 2012-13 और 2013-14 मनरेगा के अंतर्गत मिटटी-मुड़म और डब्लू.बी.एम. के कार्य सरपंच-सचिव द्वारा करवाए गए जिसमे गाँव के मजदूरों ने जमकर अपना पसीना बहाया और सड़क का निर्माण पूर्ण कराया परन्तु जब मजदूरों ने अपना मेहनताना माँगा तो सरपंच और सचिव ने नित्य नया नियम और परेशानिया गिनाई | बेबस मजदूर भी अपने मेहनताना की आस में सचिव-सरपंच पर भरोसा कर हर बार उनकी बात मानते गए परन्तु यह सिलसिला लगभग पिछले 3 सालो से चलता रहा , जब मजदूरों के धैर्य का बाँध टूटा तो उन्होंने ग्राम मुखिया को अपनी समस्या से अवगत कराया , ग्राम मुखिया द्वारा जब आम सभा बुलाकर सचिव और सरपंच से उक्त विषय की जानकारी ली तब जो सामने आया उससे लोगो के होश उड़ गए | मजदूरों के मजदूरी का 100 प्रतिशत भुगतान जनपद द्वारा ग्रामपंचायत को कर दिया गया और ग्रामपंचायत के सचिव और सरपंच द्वारा मजदूरों के जॉब कार्ड और हस्ताक्षर के माध्यम से रकम आहरित कर लिया गया | चौकाने वाली बात यह है कि जिन मजदूरो के जॉब कार्ड और हस्ताक्षर से रकम आहरित किया गया उन मजदूरो को इस सम्बन्ध में न तो कोई जानकारी है और न ही उन्हें कोई रकम प्राप्त हुआ है | ग्राम पी.व्ही. 120 बापूनगर के ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण कार्य स्थल पर मुल्यांकन करने न तो इंजीनियर पहुँचता है और न ही कोई विभागीय अधिकारी और अधिकारियो द्वारा घर बैठे ही मूल्यांकन कर रकम स्वीकृत कर दिया जाता है | भुगतान घोटाले के इस खेल में कापसी उपडाकपाल की भूमिका भी संदेहस्पद है , जॉब कार्डों में हुए रकम एंट्री और हस्ताक्षर सत्यापन ने उपडाकपाल को सवालो के घेरे में खड़ा कर दिया है साथ ग्रामीणों का कहना है कि उपडाकपाल हमेशा नशे में धुत रहता है साथ ही पूर्व सरपंच का कहना है कि भुगतान पर उपडाकपाल द्वारा 10 प्रतिशत कमिशन लिया जाता है | ग्रामीणों ने एकजुट होकर जल्द से जल्द मजदूरो को भुगतान करने की मांग की | जहा एक ओर अधिकारी अपने बचाव में लगे हुए है वही दूसरी ओर सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इन बेबस मजदूरो को उनकी मजदूरी कब मिलेगी या फर्जी तरीके से 100 प्रतिशत भुगतान हो चुके मेहनतकश मजदूरो की मजदूरी पुनः कौन देगा ?    
रिपोर्ट राजेश हालदार @ परलकोट-Rajesh Haldar Raj Aryan 

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