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विकास के लिए राह को निहारता ग्राम मशानकट्टा ...


कांकेर। उत्तर बस्तर कांकेर के कोयलीबेड़ा विकास खण्ड के अंतिम छोर में बसा गांव मसानकट्टा, पखांजूर से मात्र 13 कि.मी. की दूरी पर स्थित है, पर ये दूरी विकास के पैमाने से बहुत दूर है। पूर्णतः आदिवासी बहुल इस गांव की आबादी मात्र 28 है, जो 05 परिवारों में विभाजित है। 2006 से गांव में प्राथमिक शाला संचालित है। वर्तमान में इस विद्यालय में मात्र 08 बच्चे अध्ययनरत् है, जिन्हें दो शिक्षक अध्यापन करवा रहे हैं। विभिन्न समस्याओं से जुझता हुआ यह गांव वास्तव में विकास की अचिन्हित, प्रति है, गांव में मात्र 02 हैण्ड पम्प है, 01 हैण्ड पम्प विगत 06 महिनों से बिगड़़ा हुआ है, एकमात्र हैण्ड पम्प जिसमें मटमैला पानी निकलता है। जल स्त्रोत के रूप में 02 छोटे मौसमी तालाब है और इसी तालाब के किनारे 04 फीट का गड्डा खोदकार झरिया का निर्माण गांव वालों ने किया है जो वर्तमान में पेयजल का मुख्य स्त्रोत है गांव तक पहुंचने के लिए वनों से घिरा कच्चा मार्ग स्थित है इसी कच्चे मार्ग से होकर अनसुलझे पहुलओं को जानने रेडक्रास का दल इनके बीच पहुंचा है । इसी मार्ग से प्रतिदिन हाईस्कूल शिक्षा के अध्ययन हेतु इस गांव से 03 बच्चे पखांजूर जाते है। विद्युत एवं शौचालय भी इस गांव से कोसो दूर है, जबकि अभाव के बीच भी ग्रामीणजन पोला, गोटापोला त्यौहार सौउल्लास मनाते है। पूर्णतः मलेरिया पीडि़त यह गांव 04 कि.मी. दूर स्थित पेनकोड़ों में निवासरत मितानिन पर निर्भर है। कृषि एवं वन उपज पर आश्रित इस गांव के जन अपनी समस्याओं के लिए यह मात्र वार्डपंच आईसुराम गावड़े जो कि पेनेकोड़ों में निवासरत है पर आश्रित है। कोयलीबेड़ा वि.ख. का यह ग्राम महाराष्ट्र सीमा से मात्र 500 मीटर की दूर पर स्थित हाने के बावजूद भी समस्याओं से ग्रसित है और इन समस्याओं को हल करने हेतु आवश्यक पहल करने की आवश्यता है। गांव के इन अनबूझे समस्याओं को आने वाले दिनों में मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सर्वेकार्य में रेडक्रास के वालिंटियर्स अनुपम जोफर, ओमप्रकाश सेन, सुनील राय, भरत श्रीवास्तव, पवन सेन, मोहन सेनापति, प्रदीप सेन, प्रकाश पोद्दार, मनोज यादव ने अपनी महती भूमिका निभायी है । 

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