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आदिवासी संस्कृति पर अश्लील टिप्पणी की खबर छापी पत्रिका ने ......वक्तव्य देने वाले और संपादक की जलाये गए पुतले







बस्तर की आदिवासी संसकृति  के बारे में गलत टिप्पणी प्रकाशित करने वाले राष्ट्रिय अखबार दैनिक पत्रिका की प्रतिया सर्व आदिवासी समाज द्वरा जलाई गई पत्रिका अखबार के संपादक और अखबार में वक्तव्य देने वाले वरिष्ट साहित्यकार रूद्र नारायण पाणीग्राही के खिलाफ आजक थाने में एफ़आईआर दर्ज करने हेतु शिकायत की गई कल सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने पत्रिका अखबार के प्रतियों के साथ स्थानीय संपादक का पुतला भी जलाया इस मुद्दे पर पूरा आदिवासी समाज काफी नाराज दिखाई पद रहा है आज इस मुद्दे को लेकर सर्व आदिवासी समाज की एक बैठक भी आहूत की गई है
   जानकारी के अनुसार पत्रिका में वरिष्ट साहित्यकार रूद्र नारायण पाणीग्राही का वक्तव्य प्रकाशित हुआ है बस्तर की आदिवासी जन जातियों में स्वछंद यौन व्यवहार देखने को मिलता है ,पर इसमें आदिवासी युवक युवतियों की रजा मंदी होती है । पैसों का लेन देन नहीं होता इस आलेख से आदिवासी समाज में काफी रोष व्याप्त है ।
कल 21 अगस्त को जगदलपुर में पत्रिका समाचार पत्र की प्रतियां तथा.लेखक और संपादक के खिलाफ सर्व आदिवासी समाज द्वारा पुतला दहन कर पत्रिका कर्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया गया ।

सर्व आदिवासी समाज के अनुसार ऐसा प्रतिक्रिया प्रकाशित कर बस्तर के आदिवासी जनजातीय को अपमानित कर बदनाम किया गया है । आदिवासी समाज ने लेखक और संपादक के विरुद्ध जनजातीय एक्ट के तहत कार्यवाही करने की भी बात कही । कार्यवाही न होने की सूरत में 26 अगस्त को बस्तर बन्द कर भारी विरोध प्रदर्शन की भी चेतावनी दी है ।

वही  दूसरी ओर वरिष्ट साहित्यकार रूद्र नारायण पाणीग्राही ने अपना पक्ष रखते हुआ कहा है कि 20 अगस्त 2015 को जगदलपुर से प्रकाशित होने वाले पत्रिका अखबार में मेरे नाम से एक्सपर्ट टिप्पणी के रूप में 'पाश्चात्य संस्कृति हावी' शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया गया है । इस समाचार को पढ़कर मैं भी आहत हुआ हूं । इस समाचार के संदर्भ में मैनें किसी भी प्रकार की कोई आलेख लिख कर दिया है और ना ही मेरे द्वारा कोई टिप्पणी की गई है। समाचार के प्रकाशन के बाद संबंधित समाचार के ब्यूरो से मिलकर मेरे द्वारा आपत्ति दर्ज इस संबंध में खंडन प्रकाशन का आश्वासन मुझे दिया किन्तु आज पर्यन्त प्रकाशित नही किया। बिना साक्षात्कार के मेरे नाम से टिप्पणी प्रकाशित कर मेरे छवि कौ धूमिल किया है । इस संबंध में विस्तार पूर्वक मैं आगे अपना विचार आप सभी के सामने रखूंगा ।
पुरे मामले में आदिवासी समाज में काफी रोष व्याप्त है और शोशल मीडिया में भी काफी विरोध दर्ज कराया जा रहे है

पुरे मामले में मिडिया ने भी अपने हाथ खड़े करते हुए एक अखबार को छोड़ विरोध की खबर किसी ने प्रकाशित नहीं की जिससे आदिवासी समाज में मिडिया के प्रति भी काफी गुस्सा है 

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