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शारदा राईस मिल से लौटी युवतियों की शोषण की कहानी उन्ही की जुबान से ..........................


कांकेर। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों से आदिवासी किशोरियों के बड़ी संख्या में लापता हो जाने और यहां के गरीब आदिवासी बालाओं को काम के बहाने ले जा कर मानसिक,शारीरिक शोषण जैसी घटनाओं का समय समय पर खुलासा होता रहता है। अंदरुनी इलाको में ज्यादा पैसे का लालच देकर आदिवासी बालाओ को गरीबी से पैदा हुए हालत का फायदा उठाकर अपना हित साध रहे सैंकड़ो दलाल आदिवासी बालिकाओं को महानगरों और नगरो के अंधी गलियों व नर्क में ढकेल रहे हैं। जहाँ उनकी जिन्दगी हर तरह की यातना की जीती-जागती तस्वीर बनकर रह जाती है।
हाल ही में कांकेर जिले के आमाबेडा के चागोड़ी गंाव से धमतरी के शारदा राईस मिल में काम करने गई आदिवासी युवती बसंती की मिल में संदेहहास्यपद मौत हो गई थी। चागोड़ी ग्राम से ही चार अन्य युवतियंा जो मिल में काम कर रही थी वो लौट आई है, मिल से लौटी युवतियों ने मिल प्रबंधन की शोषण की पूरी दास्तान सुनाई। युवतियों के अनुसार मिल प्रबंधन द्वारा रात व दिन उनसे काम लिया जाता था और मजदूरी भी मात्र 80-80 रूपया दोनो समय का दिया करता था, रहने के लिए वही मिल में ही जगह दी गई थी। जहंा उनकी अस्मित्ता को खतरा भी था खाने का व्यवस्था भी वो 80-80 रूपये के मजदूरी से पूरा किया करते थे, जब भी वो घर जाना चाहते थे मिल प्रबंधन द्वारा उन्हें जाने नहीं दिया जाता था, डरी-सहमी आदिवासी युवतियाँ दिन रात एक कर कम मजदूरी में काम किया करती थी। बसंती की मौत के बारे में युवतियों ने बताया की बसंती की मौत रात में काम करते वक्त पट्टे में साड़ी फंसने की वजह से हुई जहंा उसे गंभीर चोट लगी हुई थी उसके बाद में काफी देर तक मिल प्रबंधन द्वरा उसे मिल में ही रखा गया हालत बिगड़ते देख धमतरी हॉस्पिटल, फिर गौतम हॉस्पिटल, फिर रायपुर एमएमआई ले जाया गया। युवतियों के अनुसार बसंती को आये सप्ताह भर ही हुए थे दिन रात के काम करने के चलते बसंती पूरी तरह थक गई थी, रात के 1 बजे तक बसंती काम कर रही थी नीद में उसकी साड़ी मशीन में फस गया और उसकी मौत हो गई हालाँकि पोस्टमाडम रिपोर्ट अभी आना बाकी है। बसंती की मौत मिल प्रबंधन की घोर लापरवाही के कारण हुई है मिल प्रबंधन द्वारा रात में 1 बजे तक काम लिया जा रहा था, नींद और थकान के चलते बसंती की साड़ी राईस मिल के पट्टे में फंसा और तीन राउण्ड पट्टा घुमाने के बाद बंसती गढ्ढे पर गिर गई जिससे उसकी मौत हो गई, यहाँ तक की रायपुर एमएमआई में जब बसंती को भर्ती किया गया था तो किसी भी प्रकार का पुलिस को बिना सूचना नाम बदल कर उसका इलाज किया जा रहा था। मिल प्रबन्धन द्वारा गुप-चुप तरीके से सारे मामले को दबाने की भरपूर कौशिश की जा रही है।
आदिवासी युवतियों का मिल प्रबंधन का काम पसंद है नाम नहीं 
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युवतियों के अनुसार शारदा राईस मिल में काम कर रही युवतियों के सारे 
नाम बदल कर रखा गया था, बसंती का नाम भी सरोज रखा गया था,
  अस्पताल में जब भर्ती किया गया तब भी सरोज नाम बताया गया। बांकी
चार अन्य लड़कियों का नाम भी बदल दिया गया था संनबत्ती को ममता,
 लच्छो को सन्तारों, पपोति को कविता और दयाबत्त्ी को अनिता जैसे 
नामो से उन्हें पुकारा जाता था, नाम बदलने का कारण लडकियों ने बताया
 कि उन्हें उनका नाम पसंद नहीं आता था, उनके मूल नाम से उन्हें अगर
 कोई पुकारता था तो सारे उनका मजाक बना कर रख देते थे। आदिवासी 
लड़कियों से कोल्हू के बैल की तरह काम लेना पसंद है लेकिन उनका नाम 
उन्हें पसंद नहीं उनकी जिंदगियो को मजाक बना कर रख दिया गया था।

आमाबेडा के कई गावों की युवतियाँ अभी भी धमतरी के राईसमिलो में
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युवतियों के अनुसार आमाबेडा क्षेत्र के आस पास के कई ऐसे गांव डोगर, कोटोड़ी, एटेगांव, टिमड़ी, पड्डे, सवलवाही, कोण्डागांव की आदिवासी युवतिया धमतरी के अलग-अलग राईस मिलो में काम कर रही है, आस-पास के गावो से भारी संख्या में आदिवासी बालाओ का काम के लिए दलालों के माध्यम से नगरो की ओर पलायन कर चुके हैद्य
पंचायत का फैसला बाहर कोई काम के लिए गया तो पचास हजार जुर्माना..
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रोजगार के लिए बाहर निकली बसंती की मौत के मुह में समा जाने घटना को लेकर ग्रामीणों ने एक सफल फैसला लिया है गाव से अगर कोई युवक-युवतिया बाहर काम के लिए पलायन करते है तो उनसे पचास हजार रुपए जुर्माना का फैसला लिया गया है, टिमनार पंचाचत के चागोड़ी के छोटे पार तीन गावो के ग्रामीणों ने बैठक कर इस फैसले को लिया गया है, ग्रामीणों के अनुसार इस फैसले से अब गाव से युवक-युवतिया काम के लिए पलायन नही करेंगे।


शुन्य मे कायम की गई रिपोर्ट
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इस संदर्भ में कांकेर थाना प्रभारी दीनबन्धु उइके ने बताया कि मर्ग रिपोर्ट शून्य में कायम कर घमतरी पुलिस को भेज दी गई है। मृतका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के पश्चात ही मौत का वास्तविक कारण पता चल सकेगा।


आप पिछला समाचार पढ़ सकते है..........http://bastarprahri.blogspot.in/2015/07/blog-post.html

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