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फूल के साथ यही तो गम है, खुश्बू ज्यादा, जीवन कम है

समाजसेवी जनार्दन 
मंगराज का निधन 

कांकेर । स्थानीय नवाज्योति समाजसेवी संस्था के सचिव जनार्दन मंगराज का दुखद निधन 17 दिसम्बर को कैन्सर रोग के कारण उनके गृहनगर भवानी पाटणा ओड़िशा में हो गया। उनकी आयु लगभग 50 वर्ष की थी। स्वर्गीय जनार्दन अविवाहित थे और बस्तर तथा ओड़िशा के आदिवासी क्षेत्रों में समाजसेवी ही उनके जीवन का लक्ष्य था वे बस्तर तथा ओड़िशा की अनेक  संस्थाओं से जुड़कर सन् 1982 से ही जनसेवा में लगे हुए थे। सन् 2002 में उन्होंने नवाज्योति संस्था की स्थापना की और यहीं बस गए थे । समाजसेवा तथा स्वसहायता समूह का उन्हें विशेषज्ञ माना जाता था। इन विषयों पर उनके कई लेखों का हिन्दी तथा ओड़िशा भाषा में प्रकाशन तथा रेडियो प्रसारण भी हुआ था। ओड़िया साहित्य के प्रसिद्ध व्यंगकवि चांद खां याकूब खां की अनेक कविताओं का अनुवाद कर स्व. जनार्दन मंगराज ने हिन्दी के पाठकों के  समक्ष प्रस्तुत किया था। अपने अन्तिम दिनों में वे गरीब ग्रामीणों में वस्त्रों के वितरण का कार्य बहुत बड़े क्षेत्र में कर रहे थे। उनके अचानक अस्वस्थ हो जाने के कारण यह कार्य पूर्ण नहीं हो सका । उनके गंभीर रोग के इलाज का भारी खर्च बस्तर तथा ओड़िशा के कुछ एन.जी.ओ. ने उठाया किन्तु दुर्भाग्यवश उन्हें बचाया नहीं जा सका । स्थानीय मित्रों, समाज सेवियों तथा परिचितों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है ।

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