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मनेरगा के तहत घाट निर्माण के नाम पर छै लाख रूपये हजम!


मनेरगा की खुली पोल
ना घाट निर्माण हुआ, ना ग्रामिणों को रोजगार की गांरटी मिला,

कांकेर - दिल्ली से मनेरगा के तहत छत्तीसगढ प्रदेश के कांकेर जीले को बेहतर क्रियान्वयन के लिए अवार्ड लेने वाले जरा देखिए आपके जिले में महात्मा गांधी रोजगार गांरटी योजना का कितना बुरा हाल है? किस तरह से  प्रशासन के नुमाइंदे मनेरगा की राशि को बंदरबाट करने में लगे हुए है? जरा दफ्तर के बाहर निकलिये आपके जिले में मनेरगा का हाल-बेहाल है....कही  पोकलेन से काम...तो कही फर्जी मस्टरोल भरी जा रही है। प्रदेश मे कांकेर  जिले को मनेरगा के तहत अवार्ड दिया गया है..क्या अवार्ड के हकदार थे? प्रदेश के कांकेर  जिले में सबसे बडा रोजगार गांरटी घोटला भी इसी जिले में हुआ था? दफ्तर में बैंठे उलट-फेर के आंकडो के मायाजाल में आपने रोजगार गांरटी योजना में नम्बर वन क्रियान्वयन के लिए अवार्ड तो ले लिया लेकिन आपके जिले में किस तरह छैः लाख रूपये आदिवासियों के नाम पर घाट निर्माण का पैसा हजम किया गया जरा उसकी भी दशा देखिए?। केन्द्र सरकार से करोडो रूपये रोजगार गांरटी योजना के नाम से मिलने वाली राशि का कांकेर जीले के सरकारी नुमाइंदे खाने और खिलाने में किस तरह लगे हुए है। 


                 मामला बस्तर संभाग के प्रवेश द्वार चारामा ब्लाक के जनपद कार्यालय का है जंहा अफसरों ने मनेरगा के तहत घाट निर्माण के लिए स्विकृत राशि को हजम कर गये है...घाट निर्माण तो बहुत दूर की बात एक पत्थर की निंव भी नही रखी गई है, पूरी राशि निकाल कर सरपंच,सचिव, और चारामा जनपद के अफसरों ने डकार ली है।
       विदित हो कि चारामा जनपद अंतर्गत 15 किमी दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत कहडगोंदी का आश्रित ग्राम चपेली जंहा महात्मा गांधी रोजगार गांरटी योजना के तहत वर्ष 2012-13 में दो नग घाट निर्माण के लिए छैः लाख रूपये स्विकृत की गई थी, चपेली ग्राम में स्थित मरघटी तालाब को गहरी करण और घाट निर्माण करना था...तालाब का गहरीकरण तो हुआ...लेकिन घाट निर्माण नही हुई...घाट निर्माण का छैः लाख रूपये हजम हो गया?तालाब के गहरी करण में भी धांधली की गई और घाट निर्माण का छैः लाख रूपये सरपंच सचिव तथा जनपद के सरकारी नुमाइंदों के जेब में घाट निर्माण की स्वीकृत राशि चली गई। बडे बेशर्मी से नोटिस बोर्ड में जानकारी भी लिखी गई है कि घाट निर्माण के लिए छैः लाख रूपये स्विकृत। मनेरगा के तहत लाखों रूपये का सरकारी नुमाइंदों ने मिलकर फर्जीवाडे को अंजाम दे डाले। आखिर कंहा गये छैः लाख रूपये? कंहा है घाट? चारामा जनपद कार्यालय में मनेरगा की राशि का बंदरबाट का जिता-जगता उदाहरण। जानकारी है कि ग्राम चपेली के सरपंच सविता नेताम है..लेकिन उनका सरपंच का पुरा कार्य सरपंच के पति सभालतंे है...यह कोई नई बात नही है..कांकेर जिले में ऐसे अधिकतर मामले है?। सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि इस मामले में ग्रामिणो के उपर प्रेशर भी है की वह अपना मुंह ना खोले ।
          सभी ममलों की तरह यह भी जांच तक सिमित ना हों जाऐ?

कांकेर जिला प्रशासन भी भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर गंभीर नही है...प्रशासन जांच और कार्यवाही के आश्वासन तक समित रह चुकी है...कई मनेरगा के तहत भ्रष्टाचार के मामले जांच चल रहे है...और कभी कार्यवाही होती है तो बडे मगरमच्छ बच के निकाल जाते है..सरपंच सचिव को मोहरा बनाकर उन पर कार्यवाही कर दी जाती है। ग्राम चबेली को रोजगार गांरटी योजना में हुए भ्रष्टाचार का मामला ऐसे ही कंही प्रशासन के फाईल में दब जाऐगी या फिर जनसंम्पर्क विभाग के कटिंग तक सिमित रह जाऐगा? भ्रष्टाचारियों के होसले सांतवे आसमान पर है और डंके के चोट में भ्रष्टाचार को अंजाम देने में लगे हुए है।



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