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काँकेर जिले में निजी क्षेत्रों में भी अनेक झलियामारी......................

काँकेर। विगत दिनों घटित काँकेर जिले की नरहरपुर तहसील के गा्रम झलियामारी कन्या आश्रम स्कूल में घटित वीभत्स दुष्कर्म घटनाओं के वर्णन से आए दिन अखबारों के कालम भरे रहते है। साथ ही प्रदेश स्तर के टी.वी. चैनल भी इन घटनाओं का इतना अधिक विस्तृत वर्णन कर चुके हैं कि इस पर अब कुछ और टिप्पणी करना अनावश्यक ही होगा। यहॉ हम एक नया विषय लेकर नया रहस्योद्घाटन कर रहे हैं, जिसकी ओर पत्रकार बंधुओं का अब तक ध्यान ही नहीं गया हैं। वह खोजी खबर यह है, कि काँकेर जिले के निजी स्कूलों के अधिकतर छात्रावासों मंे भी यही सब कुछ हो रहा है, जो झलियामारी कन्या छात्रावास में दो साल से हो रहा था। अंतर यही है कि झलियामारी का राज खुल गया और निजी छात्रावासो के रहस्यो का पर्दाफाश अब तक नहीं हुआ। कारण यही है, कि इसके पीछे पहुॅचवालों और पैसेवालों का वरद्हस्त है । प्रश्न यह है, कि क्या निजी छात्रावासों मंे बच्चियॉ नहीं है ? क्या निजी छात्रावासों के संचालकों को अभयदान अथवा कुछ भी करने का लाइसेन्स मिला हुआ है ? क्या काँकेर नगर और आसपास चल रहे निजी छात्रावासों की जानकारी जिला प्रशासन को नहीं है अथवा कुछ सांठगांठ या मिलीभगत हैं ?
क्या जिला प्रशासन-शासन निम्नांकित बिन्दुओ पर ध्यान देगा:-
1) नरहरपुर ब्लाक के झलियामारी कन्या आश्रम छात्रावास की तरह काँकेर नगर में भी कई निजी विद्यालयों के आश्रमनुमा छात्रावास संचालित हैं।
2) झलियामारी की घटना से प्रशासन केवल शासकीय छात्रावासों की पड़ताल कर रही है, निजी छात्रावासों की जॉच-पड़ताल नहीं करने के पीछे प्रशासन की क्या मजबूरी हैं ?
3) काँकेर नगर में एक विद्यालय का छात्रावास राष्ट्रीय राजमार्ग में एक विद्यालय का छात्रावास पंडरीपानी पुल के पास ऐसी सड़क के किनारे स्थित है जहॉ दिनभर भारी वाहनों, यात्री बसो का तेजगति से आवागमन होता रहता है, जिससे छात्रावास में रहने वाले छात्रों के साथ कभी भी अनहोनी हो सकती हैं।
4) काँंकेर नगर में संचालित एक अन्य निजी विद्यालय के संचालक ने अपने विद्यालय परिसर मंे ही लड़को के लिए छात्रावास तथा अपने आवासगृह मंे लड़कियों के लिए छात्रावास बनाया जिसे जॉच - पड़ताल करने की हिम्मत प्रशासन में नहीं है जबकि यह बात प्रशासन को भी मालूम है। विद्यालय परिसर के छात्रावास मंे रहने वाले छात्रों की निगरानी ऐेसे व्यक्ति को दी गयी है जो उस विद्यालय का बस ड्रायवर है जिसे सही ढंग से
”मॉनिटरिंग” की अंग्रेजी स्पेलिंग भी नहीं आती।

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