पालिका ने बेच खाई कांकेर शहर के तालाबों को...
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खुलेआम उल्लखंन पाटे जा रहे नगर के प्राचिन तालबों को सबंन्धित विभाग की मिली भगत की आशंका
एक और प्रशासन सरंक्षण की बात कर रही, तथा एक ओर तालाबों को पटवा रही, दोहरी निती समक्ष से परे?।
कांकेर--- सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार, तालाब, कुऐं को पाटने पर कोर्ट न्र प्रतिबंध लगा रखी है, लेकि न कांकेर पालिका ने इसका खेलेआम उल्लखंन करते हुए तालाबों को पटते हुए दफ्तर में बैठे हुई है। कांकेर पालिका का एक और कारनामा तालाबों को पटवा कर पालिका करा रही अवैध अतिक्रमण, जिसकी एवज में लिऐ जा रहे अवैध राशि, भूमाफियाओं को बेची जा रही तालाब, कांकेर के प्राचिन तालाबों की दशा, पट रहे है शहर के अंदर प्राचिन तालाब जो वर्षो पुराने है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कंाकेर पालिका तालाबों के पार को बेच रही है, तथा भूमाफियाओं द्वारा अवैध कब्जा किया जा रहा है। कंाकेर पालिका कई वर्षो पुरानी तालाबों के सरंक्षण के नाम पर शहरवासियों के साथ खिलवाड़ कर रही है, पालिका एक ओर तालाबों के जिर्णोधर तथा सरंक्षण की बात करती है, तथा एक ओर भूमाफियाओं को तलाबों को पाटकर घर बनाने में सहयोग करती है पालिका की दोहरी निती से शहरवासी अंचम्भा है, अगर कंाकेर पालिका मोटी रकम लेकर अवैध अतिक्रमण नही करा रही है तो फिर कार्यवाही क्यों नही करती कंाकेर पालिका इन भूमाफियाओं पर पालिका की कार्यशैली आशंका जाताती है, जबकि कांकेर पालिका के आंखों के सामने ये सब हो रहा है। पहाड़ों को तो पालिका द्वारा बेच डाला गया है, आज की स्थिती ये निर्मित है कि कंाकेर शहर की अधिकतर पहाड़ों पर अतिक्रमण हो गया है। जिससे पर्यावरण, पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। अब बाकि है कंाकेर के तालाबों की पहाड़ों को तो पालिका ने बेच खाई है। कांकेर शहर में स्थित तालाब अति प्राचीन है, जिसे पालिका को सरंक्षण देना चाहिए ना कि अतिक्रमण?। शहर के अंदर कुछ तालाबों की स्थिति जो हमारे संवाददाता के पास जानकारी उपलबद्ध है।
डंडिया तालाब पर पालिका का चौपाटी, पट गया आधे से ज्यादा हिस्सा!
डंडिया तालाब जंहा चोपैटी बनी है |
अब नही रहा माहुरबंदपारा का डबरी...
माहुरबंदपारा तालाब |
दिवान तालाब की स्थिति बद से बदतर ..
-दिवान तालाब, |
गोसाई तालाब का अस्तित्व खत्म, बन चुके चारों ओर अशियाने.
गोसई तालाब |
दुधावा तालाब |
कांकेर नगरपालिका दफ्तर के सामने स्थित है, दुधावा तालाब दफ्तर के सामने स्थित तालाब का सरंक्षण करने में पालिका निकम्मा साबित हो रही है तो, बाकि तालाबों को तो भगवान भरोंसे छोड़ दिया गया है। इस तालाब के भी चारों ओर बिल्डरों ने कब्जा जमा लिया है, इसे भी धिरे-धिरे पटा जा रहा है, सबंन्धित विभाग द्वारा सुप्रीम कोर्ट का खुलेआम उल्लखंन कर रही है, तालाब पाटने को लेकर प्रशासन को उचित कार्यवाही करना चाहीए तथा सरंक्षण प्रदान करना चाहीए।
सुभाष वार्ड डबरी |
काकालीन तालाब |
काकालीन तालाब, कचरों से भरा पड़ा:- शहर के मेला भाठा मे ंस्थित तालाब कंाकालिन तालाब जो कचरों का तालाब बन कर रह गया है, इसके सरक्षंण तथा रख-रखाव करने की भी आवश्यकता है। ये भी पट रही है।
पालिका, नजूल, राजस्व सभी सबंन्धित विभाग क्या सोया हुआ है । जिबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है की किसी भी तालाब को नही पाटा जा सकता, अगर तालाब पाट कर कब्जा किया जा रहा है, तो उस पर तुरंत कार्यवाही किया जाा है, लेकिन कंाकेर जिला प्रशासन इन सब से अनजान है, तालाबों का सरंक्षण करने मे प्रशासन विफल शाबित हो रही है। एक ओर तो प्रशासन डंडिया तालाब में हो रहे मुडन शेड का निर्माण कार्य रूकवती है, तथा तालाब का सरंक्षण की बात करती है, तथा एक ओर डंडिया तालाब का एक हिस्सा बना कर अनुपयोगी पालिका का चौपटी बनवाती है, तथा एक तरफ दूसरे हिस्से को पटवा रही है, जंहा से एक ओर पानी भरने के बाद दूसरों हिस्सा का तालाब भरता है, प्रशासन की दोहरी निती समक्ष से परे है। डंडिया तालाब तथा आदि अन्य तालााबों का सरंक्षण कर तथा पटाव तथा मूमाफियाओं के ऊपर कार्यवाही करनी चाहीए। ऐसा नही होने से सभी तालाब अपना अस्तित्व धिरे-धिरे खे जाऐगें और इन सब क ा जिम्मेदार प्रशासन होगी ?।
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