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पहले की कई पुरानी योजनाऐं अभी भी लंबित और नई योजनाऐं चालु करने की बात कह रहे..}




{एक बच्चा पैदा होकर बडा नही हो पाया....और दूसरा बच्चा पैदा करने की तैयारी करते वन विभाग के अफसर}
रांग नम्बर से वन्यप्राणियों की रक्षा करने का दावा बदलो....
कांकेर !    वन वृत्त कांकेर के वन संरक्षक अरूण पाण्डे के लिए नई.नई डींगे हांकना स्वाभाविक बात है किन्तु उन्हें अपने विभाग में उन आधी अधूरी योजनाओं पर पहले ध्यान देना चाहिए जो उन्हें प्रभार में मिली थीं । गत दिवस अपने एक चहेते समाचार पत्र में उन्होंने अपने हीरो छाप फोटो सहित बयान छपवाया है, कि हम कांकेर वृत्त की पहाड़ियों
को पर्यटन केन्द्र बना देंगे । इसके लिए प्रोजेक्ट तैयार कर शासन को भेजा जा रहा है।
पाण्डेजी ने अति उत्साह में कांकेर की पहाड़ियों के साथ कोण्डागांव और केशकाल को भी गिनवा दिया है । साथ ही दुधावा बांध में भी मोटर बोट और नौकायन की सुविधा देने का वादा भी कर दिया है, जो कि वनविभाग का नहीं, जलसंसाधन विभाग का जलाशय है । देखा गया है कि कांकेर आने वाले नए अधिकारी इस प्रकार के अनेक वादों का ढेर लगा देते हैं किन्तु उनका परिणाम अंतत शून्य ही रहता है। एकाध योजना शुरू हुई भी तो आधी.अधूरी रहती है या फण्ड आने के बावजूद शुरूआत में ही दम तोड़ देती है । दूध नदी का उद्गम कहे जाने वाले मड़ांज कुडूम झरने के पास लक्ष्मण झूला बनवाने की बात वन विभाग के अनेक अरूण पाण्डे जैसे वन संरक्षक कहते कहते चले गए किन्तु अब तक वहां झूलापुल के नाम पर मात्र दो खम्भे ही गाड़े गए हैं। अरूण पाण्डे के वादों या डींगों में इस झूलापुल का उल्लेख ही नहीं है । यानी वन विभाग आगे पाठ और पीछे सपाट की नीति पर चल रहा है । पिछली अधूरी योजनाओं को पूर्ण करने की बात ही नहीं होती चाहे देश.प्रदेश का करोड़ों रूपये क्यों न डूब जाए घ् जो आता हैए वह नई हवाई योजनाओं की ही बात करता है ताकि फिर से बजट में रकम स्वीकृत कराई जा सके । शासन भी इन अधिकारियों से नहीं पूछता कि पिछली योजनाओं का क्या हुआ और उन पर स्वीकृत रकम कहां गई,कांकेर वन वृत्त में विगत वर्ष में अनेक वन्य प्राणी कुत्ते की मौत मर गए आरक्षित वन तस्करों द्वारा अवैध रूप से काटे जा रहे ह,किन्तु विभाग की ओर से उचित कार्यवाही कुछ नहीं हुई । हमारे प्रतिनिधि ने इस संबंध में चर्चा हेतु वन संरक्षक पाण्डे जी से उनके मोबाइल 94252.54352 पर सम्पर्क किया तो साहब ने किसी अज्ञात कारण से फोन रिसीव करना जरूरी नहीं समझा ।

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