Header Ads

एक को मां दुसरे को मौसी का नियम क्यो?

नगरपालिका में जंगलराज-
अम्बेडकर मार्केट में एक धनी व प्रभावशाली सेठ के सामने प्रभावहीनहो गया पालिका का नियम व शर्त  

 नगरपालिका का दबंग निती तथा मनमानी के चलते कंाकेर जिले की जनता नतमस्तक है, किस तरह से कंाकेर नगरपालिका में मनमानी चल रही है पूरे शहरवासी भलीभांती जानते है   शहर के एक सेठ के लिए पुरे नियम कयदों को बदल देना ये कैसा नगर पालिक  का इंसाफ है शहर के धनी सेंठों के लिए पालिका का कोई नियम कानून नही होता और शहर के गरिब तबके के लोगों के लिए नल के कनेक्शन का पैसा ना पठाने पर भारी नियम कानून कंाकेर की पालिका बताती है.. एक सीएमओं आता है तो ३० दिन के अंदर फिर दूसरा पदभार ग्रहण करता है और सबका एक ही जवाब होता है मैने अभी पदभार संभाला है मै कुछ नही जानता.. जबकि उनको सब कुछ मालूम रहता है उसके बाद भी जानकारी ना होने की बात कहतें है....और बोलेगें भी क्यो नही पालिका के कर्णधारों को कुछ ना देखने तथा सुनने के लिए भारी-भरकम रकम जो पहुंचती है। 
  अभी हाल ही मैं शहर के एक धनी सेंठ कोठारी ब्रदर्स द्वारा  नगरपालिका की आबंटित दुकान को एक बैंक इडसड बैंक को नौ साल के अनुबंध के तहत पचास हजार के किराये पर दे दिया, और पालिका के नियम कायदे- इस धनी सेठ के लिए बदल दिये गये, बाकि अम्बेडकर शांपिग काम्पलेक्स के मालिक ों के लिए वंही नियम है और धनी सेठ कोठारी ब्रदर्स के लिए पालिका ने नियम कानूनो ं की धज्जीयां उड़ा दी... नगरपालिका के इस रवैय्ये के चलते कंाकेर की जनता कभी भी उग्र हो सकती है.... जबकि कंाकेर नगरपालिका को इसके खिलाफ ठोस कार्यवाही करते हुए चार सौ बीस का मामला दर्ज करना चाहिए लेकिन पालिका ने कुछ भी कार्यवाही नही करते हुए आंख, कान मुंद लिये। कंाकेर पालिका द्वारा  नियम कानूून की परवाह किये बिना चढोतरी चढऩे के बाद तो कंाकेर पालिका के लिए सब जायज है। कंाकेर पालिका ने इस धनी सेठ के लिए सभी नियम कानून बदल दिये और बैंक प्रबंधन को नौ साल के लिज में किराये में नगरपालिका की दुकान को दे दिया..जबकि नगरपालिका की आबंटित दुकान को किसी भी बड़ी संस्था को नही दिया जा सकता लेकिन धनी सेठ द्वारा दो हजार की किराये की दुकान को पचास हजार रूपये किराये पर इंडसइंड बैंक को दे दिया। नगर के एक हार्डवेयर व्यापारी द्वारा नगरपालिका से सूचना का अधिकार के तहत जानकारी निकालने पर इस मामाले का खुलासा हुआ जिसमें पालिका स्वंय मान रही है की लीजधारी अन्य कीसी व्यक्ती को किराये पर दुकान नही दे सकती लेकिन पालिका ने गुपचुप तरीके से धनी सेठ के लिए नियम बदलकर दुकान को दे दी। नगरपालिका के इस मामले को लेकर नगर में चर्चाए गर्म हुई और उसके बाद फिर पालिका ने बेईमानी करते हुए नियमों की धज्जीयां उड़ातें हुए नियम बना दी की कंडीका तीन के चलते लीजधारी किसी अन्य को किराये पर दे सकती है और लीजधारी ने पालिका से अनुमति ली है..। नगरपालिका के द्वारा अभी तक इस मामले को लेकर किसी तरह की कोई कार्यवाही नही की गई है.. और करेगी भी की नही इसकी कोई गांरटी नही है.. जबकि इस मामले में धनी सेठ के खिलाफ कठोंर कार्यवाही की जानी चाहीए।

नगरपालिका की दबंगाई निती कहें या फिर कोठारी ब्रदर्स की चतुराई, तीन साल का नगरपालिका से अनुबंध करने वाले कोठारी ब्रदर्स ने इंडसंड बैक को नौ साल का अनुबंध में दुकान दे दी, नगरपालिका सूचना का अधिकार के तहत जानकारी में स्वंय स्वीकार कर रही है की अनुबंध के अनुसार लीजधारी किसी अन्य को किराया अथवा लिज नही दे सकता, जानकारी में ये भी है कि लीजधारक यदि दुकान को अन्य किसी को किराये अथवा लीज पर देता है तो नगरपालिका द्वारा आबंटित व्यक्ति को नोटिस दिया जाता है। लेकिन इन सभी नियमों को ताक में रखकर नगरपालिका के पास चढोतरी पंहुची उसके बाद तो सब जायज है। कंाकेर नगर में स्थित नगरपालिका की अम्बेडकर शांपिग सेंटर स्थित कोठारी ब्रदर्स की दुकान को उनके धनि मालिक द्वारा नियमों की धज्जीयां उडाते हुए एक प्राईवेट बैंक इंडसंड बैंक को नौ साल के अनुबंध में दो हजार की दुकान को पचास हजार किराये पर दे दी। कंाकेर नगरपालिका के अध्यक्ष तथा सीएमओं को जानकारी होते हुए भी कुछ भी कार्यवाही करने में असमर्थ रही , नगर के भीतर ये चर्चा है की कंाकेर नगरपालिका के अध्यक्ष तथा अधिकारिों को चढोतरी दी गई है, जिसकी वजह से पालिका अपनी आंख, कान सब बंद कर दुबक गई हैै। इस मामले में चार सौ बीसी का मामला दर्ज कर धोखाधाडी का केस दर्ज होना चाहिए। यही नही नगर के एक व्यापारी हितैषी द्वारा इस सबंध में नगरपालिका से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी चाही गई तो उसे उलट-पुलट जवाब देने लगे और वह चक्कर काटने को मजबुर हो गया लेकिन अततः जानकारी दी गई। बैंक प्रबंधन के उपर भी सवालिया निशान उठ रही है। सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार बैंक प्रबंधन एक दलाल के जरिये कोठारी ब्रदर्स की दुकान को अनुबंध कराया है, और दो हजार की दुकान को पाचस हजार रूपये के किराये में नौ साल के लिए किराये पर ले ली है। कंाकेर नगर पालिका द्वारा दी गई सूचना के अधिकार के तहत जानकारी में पालिका ने साफ पल्ला झाडतें हुए ये मान रही है की आवंटित दुकान का अनुबंध नियमानुसार किया गया है। वाह रे कंाकेर की पालिका तेरा तो माहिमा अपार है। सारे नियमों को ताक में रखकर धज्जीयां उडायें चला है।



No comments

Powered by Blogger.